स्वास्थ्य

बुढ़ापे के कष्टों से मुक्ति

कुछ दिन पहले मैंने एक लेख प्रस्तुत किया था- ‘आया बुढ़ापा, हाय जवानी’। इस लेख पर अनेक सज्जनों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। एक सज्जन ने सुझाव दिया कि बुढ़ापे के कष्टों से मुक्ति पाने अर्थात् स्वस्थ रहने के उपायों पर भी चर्चा करनी चाहिए, क्योंकि बुढ़ापा आ जाने का तात्पर्य यह नहीं है कि उसका कष्ट भोगना अनिवार्य है और उनसे बचा नहीं जा सकता। वास्तव में बुढ़ापे के कष्टों से बहुत सरलता से मुक्त हुआ जा सकता है। इसके लिए आपको आसमान से तारे तोड़कर लाने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि कुछ शारीरिक व्यायामों और खान-पान में परहेज करने से कोई भी पुनः स्वस्थ और सक्रिय हो सकता है, भले ही जवानी वापस नहीं आ सकती। यहाँ मैं ऐसे कुछ उपायों की चर्चा करूँगा।

  1. जल्दी उठना- रात को जल्दी सोने और प्रातः जल्दी उठने की आदत डालें। प्रातः 5 बजें तक अवश्य उठ जाएं। उठते ही मूत्र विसर्जन के बाद एक-डेढ़ गिलास सादा जल पियें। यदि अधिक ठंड के दिन हों, तो गुनगुना जल ले सकते हैं। जल पीने के बाद पाँच मिनट कमरे में ही चलें-फिरें, फिर शौच जायें। शौच अपने आप होने दें, अधिक जोर न लगायें।
  2. टहलना- शौच के बाद मौसम के अनुसार कपड़े पहनकर टहलने निकलें। आपको नित्य कम से कम दो किमी टहलने का लक्ष्य बनाना चाहिए। टहलने की दूरी और समय अपनी शक्ति के अनुसार धीरे-धीरे बढ़ायें। सामान्य चाल से आप आधा घंटे में दो किमी टहल सकते हैं। प्रतिदिन टहलना अनिवार्य है। यदि किसी कारणवश बाहर निकलकर न टहल सकें, तो छत पर ही टहलें। छत पर नहीं, तो बरामदे में टहलें और बरामदे में भी नहीं, तो अपने कमरे में ही टहलें। थकान हो जाने पर तुरन्त रुक जायें और विश्राम करें।
  3. हल्का व्यायाम- टहलने के बाद कुछ विश्राम करके शरीर के सभी अंगों के सूक्ष्म व्यायाम करें। कम से कम हाथों, पैरों और ग्रीवा के व्यायाम अवश्य करें। यदि रीढ़ और कमर के व्यायाम भी करें, तो सोने में सुहागा। ये सभी व्यायाम मेरी पुस्तिका ‘स्वास्थ्य रहस्य’ में दिये गये हैं। यदि यह पुस्तिका आपके पास न हो, तो मुझे सन्देश भेजकर ये व्यायाम तथा उनके वीडियो मँगा सकते हैं।
  4. प्राणायाम- सूक्ष्म व्यायामों के बाद कहीं भी खुली हवा या बरामदे में बैठकर कम से कम 15 मिनट प्राणायाम अवश्य करें। 5-5 मिनट गहरी साँस लेना, कपालभाति और अनुलोग-विलोम प्राणायाम करें। इससे शरीर की सारी थकान मिट जाएगी, रक्त और फेंफड़े शुद्ध होंगे, और नसों में शक्ति आयेगी।
  5. खान-पान- अपनी पाचनशक्ति के अनुसार अपने खान-पान का चुनाव करें। आपके भोजन में हरी सब्जियों, फलों, अंकुरित अन्न, दूध और कुछ सूखे मेवा शामिल होने चाहिए। बाजारू फास्ट फूड से कोसभर दूर रहें। घर पर बना हुआ भोजन अमृत के समान होता है। उसे खूब चबा-चबाकर खायें। अपनी भूख से अधिक खाने की गलती कभी न करें।
  6. जल पीना- बुढ़ापे की अनेक समस्याएँ पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) के कारण होती हैं, जैसे- भुलक्कड़पन, पाचनशक्ति और मल विसर्जन शक्ति की कमजोरी, प्रोस्टेट, नसों की कमजोरी, कम्पन रोग आदि। इसलिए प्रतिदिन कम से कम ढाई-तीन लीटर जल अवश्य पियें। इसका अर्थ है कि प्रत्येक डेढ़ घंटे पर एक पाव साधारण शीतल जल पीना याद रखें। जितनी बार जल पियें, उतनी ही बारे मूत्र विसर्जन करने के लिए अवश्य जायें, उसे देर तक न रोकें।
  7. पैदल चालन और सीढ़ियाँ चढ़ना- जब भी अवसर मिले तब पैदल अवश्य चलें। दूध-सब्जी लेने पैदल ही जायें। सीढ़ी चढ़ने से परहेज न करें। कम से कम एक मंजिल सीढ़ियाँ प्रतिदिन चढ़ने और उतरने का प्रयास करें।
  8. सामाजिक बनें- हर समय घर में ही न घुसे रहें। बाहर निकलकर हमउम्र लोगों और बच्चों से सकारात्मक बातें करें। मन्दिर आदि जाकर शान्ति से बैठें। माया-मोह छोड़कर आध्यात्मिक चिन्तन करें। अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय करें।

आपकी उम्र चाहे जितनी हो और भले ही आप कितने भी कष्टों से पीड़ित हों, इन उपायों का निरन्तर पालन करते हुए आप निश्चय ही सभी कष्टों से मुक्त हो जायेंगे। शीघ्र लाभ के लिए टहलना, व्यायाम और प्राणायाम सायंकाल भी करें। कोई विशेष समस्या होने पर मुझसे सलाह ले सकते हैं, जो सभी के लिए हर समय निःशुल्क उपलब्ध है।

— डॉ. विजय कुमार सिंघल
चैत्र अमावस्या, सं. 2081 वि. (29 मार्च 2025)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]

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