गीत/नवगीत

अमानवीय था आकलन

क्या? लिखूं 4 महीने का चिंतन-मनन,
संवेदनहीन व अमानवीय था आकलन।
यूँ पीड़िता के स्तनों-अंगों को पकडना,
ये सुनों फिर पायजामे का नाड़ा तोडना।
दुष्कर्म या दुष्कर्म का ही था ये प्रयास,
क्या? यहॉ तक ही सीमित होते कयास।

क्या? लिखूं 4 महीने का चिंतन-मनन,
संवेदनहीन व अमानवीय था आकलन।
मामला नाबालिग से दुष्कर्म का गंभीर,
मैं भी पूछ रहा लाज बचाओ हे! रघुवीर।
लड़की को ‘पुलिया‘ के नीचे ही ले जाना?
इन सभी हरकतों में दुष्कर्म था ठिकाना।

क्या? लिखूं 4 महीने का चिंतन-मनन,
संवेदनहीन व अमानवीय था आकलन।
दुष्कर्म की नीयत अथवा मंशा साफ थी,
न्याय के नाम यह अनैतिकता राख थी।
इस गलत फैसले से तराजू में साख थी,
‘न्यायिक सिद्धांतों‘ से परे यह बात थी।

क्या? लिखूं 4 महीने का चिंतन-मनन,
संवेदनहीन व अमानवीय था आकलन।
ये ‘वी द वूमन ऑफ इंडिया‘ की अर्जी,
अब न चलेगी इन दुराचारियों की मर्जी,
सर्वाेच्च अदालत ने स्वतः लिया संज्ञान,
आज हम करते प्रशंसा न्याय है ‘महान्‘।
(संदर्भः सुप्रीम कोर्ट-रेप पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी असंवेदनशील)

— संजय एम तराणेकर

संजय एम. तराणेकर

जन्म वर्ष 1968 कवि, स्वतंत्र लेखक व टिप्पणीकार। शिक्षा स्नातक एवं गायन में 1986 में विद् किया होकर केन्द्रीय सचिवालय हिन्दी परिषद् द्वारा हिन्दी आषुलिपि प्रतियोगिता में वर्ष 1992 प्रषस्ति-पत्र प्राप्त। विशेष रूचि-बॉलीवुड फिल्में एवं संगीत, पुस्तक समीक्षा एवं राजनीति। मैं मूलतः मध्य प्रदेश के स्वच्छता में हैट्रिक लगा चुके एवं चार बार नंबर वन बनें स्मार्ट सिटी इन्दौर का निवासी हूँ। 1990 के दशक में लेखन में मन रमने लगा और ‘पत्र संपादक के नाम‘ से अपनी प्रारंभिक शुरूआत की। लेखकीय सुकून कितना संतोष देता है, इसकी बात ही कुछ और है। युवा होने पर फिल्मी कलाकारों की तरफ झुकाव ने फिल्मों पर आलेख लिखने की प्रेरणा दी। इसमें मेरी रूचि भी थी। विशेषकर पुराने फिल्मी कलाकारों के जीवन से सम्बंधित आलेखों पर अधिक ध्यान आकर्षित रहा। बावजूद इसके लघु कथा व कविता (बतौर युवा कवि आकाशवाणी इन्दौर में कविता पाठ के भी कई अवसर प्राप्त हुए है।) के अलावा सामयिक, सामाजिक एवं राजनैतिक विषयों पर समय-समय पर अपनी लेखनी को आयाम देने के प्रयास आज भी अनवरत हैं। अब तक विभिन्न समाचार-पत्रों में मुख्य रूप से बॉलीवुड/सिनेमा की साप्ताहिक मेगजीनों में आलेखों एवं पुस्तक समीक्षाओं का प्रकाशन हो चुका है। इनमें ‘लोकमत समाचार-आकर्षण व शो टाईम, राजस्थान पत्रिका-बॉलीवुड, पंजाब केसरी व दैनिक ट्रिब्यून के मनोरंजन, राज एक्सप्रेस-राज सिनेमा, द सी एक्सप्रेस-सी सिनेमा, हरि-भूमि के रंगारंग व रविवार भारती, चौथा संसार के बॉलीवुड, बीपीएन टाईम्स के शो बीपीएन व तरंग, लोकदशा के पर्दा-बेपर्दा व विविधा, नव-भारत एवं स्वतंत्र भारत के अलावा कई स्थानीय समाचार-पत्रों में भी आलेखों का प्रकाशन हो चुका है। वहीं ‘स्वतंत्र वार्ता एवं डेली हिन्दी मिलाप‘ में कई वर्षो तक नियमित रूप से लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 31, संजय नगर, इन्दौर-452011 मध्य प्रदेश, (वार्ता+वाट्स एप) 98260.25986 ईमेलः [email protected], Facebook – https://www.facebook.com/Taranekar9

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