आओ हे नव वर्ष
आओ हे नव वर्ष! हर्ष बरसाते आओ
सुख-समृद्धि मेघ रूप धर, तुम छा जाओ
ॠतुंभरा का कण-कण, स्वागत करने आतुर
तृण-तृण पलक बिछाकर झूमे, जैसे चातुर
गीत प्रीत के हम गाते हैं, तुम भी गाओ
आओ हे नव वर्ष! हर्ष बरसाते आओ। 1।
धरो चरण कुछ ऐसे कि, मानवता जागे
छल-प्रपंच-आतंक-द्वेष, भारत से भागे
मिटे सकल संघर्ष-द्वंद्व, अपनापन पाओ
आओ हे नव वर्ष! हर्ष बरसाते आओ।2।
सरहद को घूरे कोई तो, आग लगा दो
अब की बरस हिमालय में, शोले सुलगा दो
आँखें फोड़ो बाजू तोड़ो, प्रलय उठाओ
आओ हे नव वर्ष! हर्ष बरसाते आओ।3।
सूखी चमड़ी भूखी अतड़ी, तुम्हें पुकारे
बीते कई वसंत, मगर ना हिम्मत हारे
निर्धन पर धन निर्बल पर बल, खूब लुटाओ
आओ हे नव वर्ष! हर्ष बरसाते आओ।4।
मातृभूमि पर ध्वजा धर्म की, सहम रही है
दानवता पग-पग पर, सूरत बदल रही है
सिंहवाहिनी के संग प्रियवर, धूम मचाओ
आओ हे नव वर्ष! हर्ष बरसाते आओ।5।
— शरद सुनेरी