नवरात्रे आए
(मन हरण घनाक्षरी छंद)
चैत्र नवरात्रे आए, “आनंद” उमंग छाए,
दिन अति विशेष है, मैया को मनाइए ।
पावन उत्सव आया, खुशियों का रंग छाया,
प्रेम श्रद्धा भक्ति सच्ची, भीतर जगाइए ।
दीप अखंड जगाके, धुनी देवी की रमाके,
दृढ़ संकल्पित होके, देवी को रिझाइए ।
देवी दुर्गा काली तारा, तूने ही दुष्टों को मारा,
रखके गहरी आस्था, मस्तक झुकाइए ।
वरदानी शेरोंवाली, भर देती झोली खाली,
सब दुख दूर होंगे, वर मां से पाइए ।
आशाओं को पूरी करे, माता विपदाएं हरे,
रक्षा करती सबकी, भाग्य चमकाइए ।
नेक राह पर चले, गुणगान मां का करें ,
कलिकाल प्रभाव से, आप बच जाइए ।
नित स्तुति भक्त करें, दुर्गा दुख सारे हरें,
आप दुष्ट दुश्मनों से, मत घबराइए ।
भवानी की चौकी लगा, सोलह श्रृंगार सजा,
सुंदर पुष्पों की माला, मां को पहनाइए ।
अंबिका संताप हरे, दुर्गा मंत्र जाप करें,
वंदन पूजन मां का, भोग भी लगाइए ।
सिरा, पूड़ी, गुड़ चना, मीठे गुलगुले बना,
घूप, दीप, नित करें, आरती भी गाइए ।
क्षमा मां से आप मांगे, विपदाएं जल्दी भागें,
शुद्ध तन मन करे, लाभ तो उठाइए ।
महालक्ष्मी, महाकाली, कोई जाता नहीं खाली,
बड़ी महिमा निराली, निश्चिंत हो जाइए ।
माता रानी कृपा करें, सम्पत्ति समृद्धि भरें,
सुधा अमृत बरसे, ख़ुशी बिखराइए ।
— मोनिका डागा “आनंद”