सामाजिक

नारी तू नारायणी

‘‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।’’
(जिस घर में नारी की पूजा होती है, वहाँ देवताओं का निवास होता है)
हमारे शास्त्रों में ऐसी कई महान् नारियों का जिक्र आता है, जैसेः- सति सावित्री, जनकनन्दिनी माता सीता, वात्सल्यमूर्ति कर्माबाई, माता सबरी, भक्तिमयी मीरा, माता जीजाबाई, रानी लक्ष्मीबाई एवं हमारे देष के यषस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की माता हीराबेन, अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम और न जाने अनेकों ऐसी महान् नारियाँ है जिन्होनें भारत वर्ष में जन्म लिया। जिन्होंने अपने धैर्य, संयम, साहस एवं योग्यता के बल पर भारत के गौरव को सदैव ऊँचा किया है।
इन्सान तो साधु बनने के लिए अपना घर-परिवार छोड़कर साधना करता है। लेकिन, घर में रहते हुए, गृहस्थधर्म को निभाते हुए नारी ऐसी उग्र साधना कर सकती है कि उनके सामने अन्य साधुओं की साधना भी फीकी पड़ जाय। ऐसी महान् देवियों के पास पवित्रता-धर्म ही एक ऐसा अमोघ शस्त्र है, जिसके आगे बड़े-से-बड़े एवं महान् वीरों के शस्त्र भी असफल हो जाते हैं। पतिव्रता स्त्री गृहस्थ धर्म निभाते हुए भी योगियों के समान सिद्धि को प्राप्त कर लेती है, इसमें किंचित् मात्र भी संदेह नहीं है। इस प्रकार शास्त्रों में नारी की महिमा का गुणगान अनेकों बार किया गया है।
समाज में नारी का एक विशिष्ट व गौरवपूर्ण स्थान है। भारतीय संस्कृति ने स्त्री को माता के रूप में स्वीकार करके यह बात सिद्ध की है कि नारी पुरुष के कामोपभोग की सामग्री नहीं बल्कि वंदनीय एवं पूजनीय है। यदि वह अपने चरित्र और साधना में दृढ़ तथा उत्साही बन जाय तो अपने माता-पिता, पति एवं बच्चों के साथ अपने सम्पूर्ण कुल का भी उद्धार कर सकती है। धर्म की स्थापना भले ही हमारे महापुरुषों ने की होगी, परन्तु उसे सँभाले रखना, उसको आगे बढ़ाना और अपने बच्चों में उसके संस्कारों का सिंचन करने का श्रेय नारी को ही जाता है।
अब बात करते हैं वर्तमान समय में विकृत मानसिकता की कुछ नारियों की। अभी हॉल ही मैं ऐसी कुछ घटनाओं के बारे में जानकर मन बहुत खिन्न एवं दुःखी हो गया। जैसेः- 1. उत्तरप्रदेष के मेरठ शहर का मुस्कान-सौरभ का केस। जिसमें मुस्कान ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति को न केवल जान से मार दिया बल्कि उसके शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े करके एक बड़े से प्लास्टिक की टंकी में डाल दिया और ऊपर से सीमेण्ट का मसाला तैयार करके टंकी को भर दिया। 2. मध्यप्रदेष के गुना में एक माँ ने अपने 15 वर्ष के बच्चें को सिर्फ इसीलिए मार दिया क्योंकि उस बच्चें ने अपनी माँ को सोषल मिडिया के लिए रील बनाते वक्त छोटे कपड़े पहने से मना किया था। ऐसी और भी कई घटनाएँ हमारे आस-पास घटित होती होगी, जिनकी शायद हमें जानकारी न हो। आपको नहीं लगता कि ऐसी घटनाओं को सुनकर मन में खिन्नता एवं रोष का भाव आता है। यह कैसी मानसिकता हो गई है नारी की? (मैं यहाँ सभी की बात नहीं करता) जिस नारी को अभी तक माता, बहन, बेटी एवं पत्नी के रूप में देखा गया है तो यह कैसा रूप है उसका जो आज हमें देखने और सुनने को मिल रहा है?
कुछ वर्षों पूर्व तो इस प्रकार की घटनाओं का श्रेय सिनेमा एवं टेलीविजन पर चलने वाले धारावाहिक को देते थे, लेकिन आज इसका मुख्य कारण है दुनिया भर में चलने वाली सोषल मिडिया साइट्स जो सभी को अपनी और तीव्रता से खिंच रही है। सोषल मिडिया पर अपनी झलक दिखाने के चक्कर में और एक लाईक, कमेण्ट और शेयर के लिए आजकल हर कोई किसी भी हद तक जा सकता है। इसके लिए अष्लील, भद्दे एवं बचकानी सामग्री वे अपने-अपने सोषल मिडिया एकाउण्ट पर परोस रहे हैं, जिसके कारण समाज एवं देष को काफी शर्मिन्दा ;म्उइंततंेेमकद्ध होना पड़ता है। इसमें आज के युवा, बच्चें, वृद्ध और तो और महिलाएँ भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही है। इसी के चलते आज इस प्रकार की घटनाएँ देखने और सुनने को मिलती है। सोषल मिडिया साइट्स बनाने वालों ने भी कभी यह सोचा नहीं होगा कि इसका इस्तेमाल इस तरह से भी होगा।
एक और कारण है कि हमारे देष के कानूनों में महिलाओं को आधी आबादी की श्रेणी में लिया गया है। नारी सषक्तिकरण के चलते ऐसे बहुत से कानूनों को उनकी रक्षा के लिए बनाएँ अथवा बदले गये है। आज के दौर में यह देखा गया है कि कुण्ठित मानसिकता वाली महिलाएँ इन कानूनों का दुरुपयोग भलिभाँति से करने में या यूँ कहा जाय कि इनसे खेलने में एक्सपर्ट है, जिससे आज का पुरुषवर्ग अपने को उनसे डरा हुआ महसूस कर रहा है।
मेरा उन सभी माताओं बहनों से आग्रह है कि इन सभी कारणों के भ्रम में आकर अपने चरित्र एवं जीवन को खतरे में न डालें। क्योंकि आखिर में उनके हाथ में जीवन भर पछताने के सिवाय कुछ नहीं रहेगा।

— राजीव नेपालिया (माथुर)

राजीव नेपालिया

401, ‘बंशी निकुंज’, महावीरपुरम् सिटी, चौपासनी जागीर, चौपासनी फनवर्ल्ड के पीछे, जोधपुर-342008 (राज.), मोबाइल: 98280-18003

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