गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

खुद को खुद में पाकर देखो ।
मुझको गले लगा कर देखो।
सारी दुनिया याद करेगी,
संघर्षों में आकर देखो।
हक कितना रखते हो उस पर,
यह भी कभी जताकर देखो।
यात्रा में आगे जाना है,
अपने कदम बढ़ाकर देखो।
वादे न झूठे हो जायें,
थोड़ा बहुत निभा कर देखो।
सच्चाई के गीत बने हैं,
उन गीतों को गाकर देखो।

— वाई. वेद प्रकाश

वाई. वेद प्रकाश

द्वारा विद्या रमण फाउण्डेशन 121, शंकर नगर,मुराई बाग,डलमऊ, रायबरेली उत्तर प्रदेश 229207 M-9670040890