लघुकथा

माता का उपहार

हर दिन एक असफल परीक्षण और तनिक भी हताशा नहीं। सभी हैरान, कुछ परेशान भी। कैसा इंसान है असफलता से डरता ही नहीं है। हर दिन असफलता की नई कहानी लिखता है और मिटाता भी नहीं। झुंझलाता भी नहीं। सबकी आलोचना सहकर मुस्कुराता है और फिर से प्रयोग करने में जुट जाता है।
लगभर हज़ार परीक्षण करने के बाद भी जब सफलता नहीं मिली तो लोगों ने सीधे प्रश्न किया, “साहेब क्यों अपना समय और ऊर्ज़ा नष्ट करते हो ? हार मान लो। आप इस प्रयोग को नहीं कर सकते हो।”
वह व्यक्ति अविचल भाव से मुस्कुराकर जवाब देता है, “असफलता के बाद ही सफलता मिलती है।”
“हज़ारों असफल प्रयोग आप कर चुके हैं। अपना समय, धन और ऊर्जा खर्च करके। उससे आपको क्या मिला ?” प्रश्नों की झड़ी अब लग रही थी। सभी अपने अपने मन की शंका का समाधान चाहते थे।
वह व्यक्ति फिर से मुस्कुराकर संयत उत्तर देता है, “मेरे प्रत्येक असफल परीक्षण ने मुझे बता दिया है कि इन हज़ारों तरीकों से दुनिया में रोशनी नहीं आ सकती है। मैंने इन सभी तरीकों को लिखकर रखा है। भविष्य में कोई और अपना समय नष्ट नहीं करेगा। उसे पहले से पता होगा कि रोशनी इन सभी तरीकों से दुनिया को नहीं जगमगाएगी।”
उत्तर संतोषजनक था परंतु प्रश्नों का अंत नहीं हो रहा था, “आपमें इतनी सहनशक्ति कैसे आई कि निरंतर असफलता आपको विचलित नहीं करती है ?”
फिर से वही अविचल भाव। मुस्कुराते हुए शंका का समाधान, “मेरी मां से मुझे यह सहनशक्ति मिली है। बचपन में सभी विद्यालयों ने एकमत होकर यह घोषणा की थी कि मेरा मानसिक विकास पूर्ण रूप से नहीं हुआ है। जिसके चलते मैं अजीबोगरीब हरकतें करता हूं। मेरी मां ने इस बात को कभी स्वीकार नहीं किया। दूसरे बच्चों से किताबें लेकर मुझे ख़ुद ही पढ़ाती रही। यदि यह प्रयोग सफल हुआ तो मेरी माता के प्रयासों को पहचान मिल जायेगी। यह उपहार होगा मेरी ओर से उनके लिए।”
सबको अपने प्रश्नों के सटीक जवाब मिल रहे थे लेकिन असफल व्यक्ति की बातों से प्रभावित कौन होता है? वह दिन भी आया जब उस व्यक्ति का एक प्रयोग सफल हुआ। विद्युत बल्ब का आविष्कार हुआ और सम्पूर्ण विश्व प्रकाश से भर गया। सभी आश्चर्यचकित हो गए। मानवता को दिए गए इस उपहार के लिए सभी ने मुक्त कंठ से उस व्यक्ति की प्रशंशा की।
दुनिया को रोशनी से जगमगाने वाला यह कठिन परिश्रमी व्यक्ति कोई और नहीं, थॉमस अल्वा एडीसन थे। महान वैज्ञानिक एडिसन। जिन्होंने और भी बहुत से लोक कल्याणकारी प्रयोग किए।

— अर्चना त्यागी

अर्चना त्यागी

जन्म स्थान - मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश वर्तमान पता- 51, सरदार क्लब स्कीम, चंद्रा इंपीरियल के पीछे, जोधपुर राजस्थान संपर्क - 9461286131 ई मेल- [email protected] पिता का नाम - श्री विद्यानंद विद्यार्थी माता का नाम श्रीमति रामेश्वरी देवी। पति का नाम - श्री रजनीश कुमार शिक्षा - M.Sc. M.Ed. पुरस्कार - राजस्थान महिला रत्न, वूमेन ऑफ ऑनर अवॉर्ड, साहित्य गौरव, साहित्यश्री, बेस्ट टीचर, बेस्ट कॉर्डिनेटर, बेस्ट मंच संचालक एवम् अन्य साहित्यिक पुरस्कार । विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा, बाल प्रहरी संस्थान अल्मोड़ा द्वारा, अनुराधा प्रकाशन द्वारा, प्राची पब्लिकेशन द्वारा, नवीन कदम साहित्य द्वारा, श्रियम न्यूज़ नेटवर्क , मानस काव्य सुमन, हिंदी साहित्य संग्रह,साहित्य रेखा, मानस कविता समूह तथा अन्य साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। प्रकाशित कृति - "सपने में आना मां " (शॉपिजन प्रकाशन) "अनवरत" लघु कथा संकलन (प्राची पब्लिकेशन), "काव्य अमृत", "कथा संचय" तथा "और मानवता जीत गई" (अनुराधा प्रकाशन) प्रकाशन - विभिन्न समाचार पत्रों जैसे अमर उजाला, दैनिक भास्कर, दैनिक हरिभूमि,प्रभात खबर, राजस्थान पत्रिका,पंजाब केसरी, दैनिक ट्रिब्यून, संगिनी मासिक पत्रिका,उत्तरांचल दीप पत्रिका, सेतू मासिक पत्रिका, ग्लोबल हेराल्ड, दैनिक नवज्योति , दैनिक लोकोत्तर, इंदौर समाचार,उत्तरांचल दीप पत्रिका, दैनिक निर्दलीय, टाबर टोली, साप्ताहिक अकोदिया सम्राट, दैनिक संपर्क क्रांति, दैनिक युग जागरण, दैनिक घटती घटना, दैनिक प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, निर्झर टाइम्स, दिन प्रतिदिन, सबूरी टाइम्स, दैनिक निर्दलीय, जय विजय पत्रिका, बच्चों का देश, साहित्य सुषमा, मानवी पत्रिका, जयदीप पत्रिका, नव किरण मासिक पत्रिका, प दैनिक दिशेरा,कोल फील्ड मिरर, दैनिक आज, दैनिक किरण दूत,, संडे रिपोर्टर, माही संदेश पत्रिका, संगम सवेरा, आदि पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन। "दिल्ली प्रेस" की विभिन्न पत्रिकाओं के लिए भी लेखन जारी है। रुचियां - पठन पाठन, लेखन, एवम् सभी प्रकार के रचनात्मक कार्य। संप्रति - रसायन विज्ञान व्याख्याता एवम् कैरियर परामर्शदाता।

Leave a Reply