राम नवमी
पुत्र प्राप्ति का चिंतन सताया,
दशरथ ने राजगुरू को बताया,
गुरु वशिष्ठ ने फिर युक्ति सुझाई,
पुत्रेष्टि यज्ञ की पूर्ण विधि बताई ।
अनुष्ठान सुंदर संकल्पित करवाया,
दान मुनिजनों को बहुत दिलवाया,
चिंता राजा दशरथ की यूं मिटाई,
अयोध्या में बजने लगी शहनाई ।
राजराजेश्वरी अंबा से की प्रार्थना,
मात पूरी करो आप मनोकामना,
करूणामई जगजननी मुस्काई,
ढेरों खुशियॉं नगरी में बरसाई ।
रानियों को फल प्रसाद खिलाया,
चार सुंदर राजकुमारों को पाया,
चैत्र शुक्ल नवमी प्रगटे रघुराई,
अवधपुरी आनंदित हो हर्षाई ।
रघुकुल ने राम, लखन को पाया,
भरत, शत्रुघ्न ने “आनंद” बढ़ाया,
दशरथ ने भव निधियॉं जो पाई,
धन्य-धन्य हुई कौशल्या माई ।
श्याम वर्ण रूप सुदंर सुहाना,
प्रभु का प्यारा लगे मुस्काना,
वर्षों के पुण्यों की मिली कमाई,
ठुमक-ठुमक चले चारो भाई ।
राम राम सबने मन में बसाया,
नाम स्मरण से कष्ट मिटाया,
तुलसी ने महिमा मधुर गाई,
राम का संकीर्तन है सुखदाई ।
— मोनिका डागा “आनंद”