समय
समय एक
शब्द भर नहीं है
यह एक सच है सपने सा।
कांपता हुआ शिखर पर
किसी आश्चर्य की तरह
जगमगाता हुआ पर्वत पर
चांद सितारों की तरह।
प्रकृति से बहुत दूर
पास भी बहुत
जब लड़खड़ाने लगे शब्द
ठिठक जाये उपमाएं
तो समझिए कि
यह आगमन है
एक ऐसे समय का
जो दर्ज़ है शिलालेखों में
पूरी विनम्रता और
सदाशयता के साथ।
हां!
यही जादुई यथार्थ है
शब्दों का
सपनों का
अभिनय का
सौंदर्य बोध का
इस बेहद कठिन समय में।
— वाई. वेद प्रकाश