खट्टा-मीठा – पेट्रोल से चलता इंटरनेट
मुझे व्हाट्सएप पर तरह तरह के मैसेज विभिन्न मित्रों से मिलते रहते हैं। एक दिन एक मित्र के नम्बर से मुझे यह मैसेज मिला- ‘क्या आपके पास पेटीएम, गूगल पे या फोन पे है?’
मैंने उत्तर भेजा- ‘मेरे पास तीनों हैं। क्या करना है?’
उधर से आया- ‘मुझे लगभग 2 हजार का एक ऑनलाइन पेमेंट करना है। मैं आपको कल शाम को वापस कर दूँगा। अभी मेरा नेट नहीं चल रहा है।’
मैंने लिख दिया- ‘ठीक है। हो जाएगा।’ वह नम्बर एक घनिष्ठ मित्र का था, इसलिए मैंने अधिक सोचे बिना ‘हाँ’ कर दिया। ऐसे काम मैं पहले भी कर चुका हूँ। दो हजार कोई बड़ी राशि भी नहीं थी।
लेकिन तुरन्त ही ‘अभी मेरा नेट नहीं चल रहा है’ इस वाक्य ने मेरा ध्यान खींचा। मैं समझ गया कि यह फ्रॉड है, इसलिए मैं सावधान हो गया।
लेकिन मजा लेने के लिए मैंने पूछ लिया- ‘आप कौन हैं? आपका नाम क्या है?’
उधर से मुझे एक नाम बताया गया, जो उस मित्र का नहीं था, जिसका वह नम्बर था। फिर भी मैंने मजे लेने के लिए उसको सन्देश भेजा- ‘अच्छा! मैं आपको जानता हूँ। बताइए पेमेंट कहाँ करना है?’
उसने उत्तर भेजा- ‘एक किताब खरीदनी है 1920 रुपये की। अभी कोड भेजता हूँ।’
मैं- ‘किताब कल शाम को ले लेना। ऐसी क्या जल्दी है?’
वह- ‘अभी डिस्काउंट पर मिल रही है। स्कीम केवल आज रात तक है।’
मैं- ‘अच्छा! आपका नेट नहीं चल रहा है, तो यह व्हाट्सएप क्या पेट्रोल से चल रहा है या सीएनजी से?’
इसके फौरन बाद उसने मुझे एक भारी भरकम गाली दी और भाग खड़ा हुआ।
बाद में मैंने उस नम्बर वाले मित्र को ईमेल करके पूछा कि क्या उसने ऐसा मैसेज भेजा था? उसने बताया कि किसी ने उसका व्हाट्सएप हैक कर लिया है। वैसे उसको बताने की आवश्यकता नहीं थी। मैं यह बात पहले ही समझ गया था।
— बीजू ब्रजवासी
चैत्र शु. 10, सं. 2082 वि. (7 अप्रैल 2025)