कविता

ज़िंदगी करती सलाम है

जीवन इतनी आसान कहॉं,
यह तो सच में एक संग्राम है,
पास करनी पड़ती परिक्षाएं जहाॉं,
तब मिलता सुखद परिणाम है ।

निरंतर करे जो परिश्रम यहॉं,
उसको जिंदगी करती सलाम है,
कठिनाइयों में जो तपता रहॉं,
उसे ही मिलता अपना मुकाम है ।

आलस्य कुसंगतियों का जो यहॉं,
हो जाता आधीन और गुलाम है,
तय है फिर हो जाती खुशियां वहॉं,
उसकी दो कौड़ी की नीलाम है ।

यम, नियम, संयम से चलता रहॉं,
थामी यदि कुशलता से कमान है,
जिंदगी में फिर “आनंद” बहे वहॉं,
बनती खुद की अलग पहचान है ।

ऐसे ज्ञानीजनों का दुनियां यहॉं,
करती वंदन कोटि-कोटि प्रणाम है,
शुभ कर्मों का शुभ फल मिले वहॉं,
जिंदगी देती हौसलें का ईनाम हैं ।

यूं तो जीवन में सबके ही जहॉं,
रहे दौड़ा भागी ढेरों ही काम है,
ख़ुशियाँ भी बॉंटा करो संग में वहॉं,
जीवन तो खुशियॉं लुटाने का नाम हैं ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु

Leave a Reply