कडवी बात
“आप अपने आप को समझते क्या हो?”
“आप जागीरदार हो?”
” क्या जरूरी है, जैसा आप कहे, हम करे?”
अपनी नई नवेली दुल्हन के सामने रूचित की कडवी बातें सुनकर सुरेश जी भौंचक रह गये। जब से सुुमी दुनिया छोड गयी है, वे अकेले रह गये है। हर बात पर वे निर्भर है अपने बहू बेटे पर। कहने से पहले कितनी बार सोचते। शब्द जैसे हलक में अटक जाते। भूख लगती, पर मन साशंक रहता,
” कैसे कहूं नई नवेली बहू को?”
कोशिश करते, खुद ही अपना काम करे। लेकिन हर काम संभव नहीं होता। आज चाय बनाते उफन गयी थी। रूचित ने देखा, तो भडक गया।
सोच रहे है, क्यों सुनूं इनकी कडवी बातें?
सुमी, काश मैं पहले चला जाता। तुम्हारे बिना जीना बडा मुश्किल है।
आज वे खुद ही वृद्धाश्रम में आये है।
नये मित्र, नया आसपास।
मन रम गया है यहां।