गीत/नवगीत

भारत मां का रूप निराला

भारत मां का रूप निराला, आभा इसकी निराली है।
बर्फ से ढके पहाड़ इस के, नदियों से हरियाली है।

किसान करते खेती बाड़ी, पशुधन लगता प्यारा है।
मंदिर पूजा पाठ हैं करते, लगता अजब नजारा है।
हाथ तिरंगा ले कर चलते, नया भारत बनाते हैं।
अनेक धर्म पर हम एक हैं, शिष्टाचार निभाते हैं।
देवताओं का यहाॅं वासा, रहती शेरांवाली है।
भारत मां का रूप निराला, अभा इसकी निराली है।

शांति के हैं हम मसीहा, यह संदेश सुनाते हैं।
देश रहे खुशहाल हमारा, उद्योग न‌ए लगाते है।
बांध कफ़न सरहद पर जाते, जोश भरा है सीने में।
सौंधी खुशबू है वतन की, आती खून पसीने में।
मुस्कुराता यहां है यौवन, रहती मुख पर लाली है।
भारत मां का रूप निराला, अभा इसकी निराली है।

मरने से वीर नहीं डरते, सीने यह फौलादी हैं।
दुश्मन से है लोहा लेते, सदा मौत के आदी हैं।
देश हित कुर्बान हो जाते, सदा शहादत पाते हैं।
आंच न आए कभी देश पर,लाल यहाॅं मिट जाते हैं।
प्रेम का यहाॅं भाईचारा, बनें ईद दीवाली है।
भारत मां का रूप निराला, आभा इसकी निराली है।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995

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