मुक्तक/दोहा

सत्ता, शहादत और सवाल

क्यों जलियाँ की चीख सुन, सत्ता है अब मौन?
लाशों से ना सीख ली, अब समझाये कौन॥

डायर केवल नाम था, सोच भरी है आज।
वर्दी बदली, मन वही, वही लहू की लाज॥

सत्य कहे “गद्दार” हो, चुप रहकर हो “भक्त”।
लोकतंत्र है या यहाँ, जंजीरों का वक्त॥

लूटते भला किसान हो, या छात्र अनुद्रोह।
हर विरोध के माथ पर, लिखा अब देशद्रोह।।

प्रश्न पूछना पाप है, सच कहना अपराध।
सत्ता के इस महल में, नंगे है सब साध॥

वीरों का सम्मान हो, नहीं दिखावा खेल।
बाग वही है, चीख भी, सुन अगर हो मेल॥

मौन साध ले मीडिया, न्याय तजे अब रीत।
तब समझो फिर लौटकर, डायर की है जीत॥

डायर की अब वर्दियाँ, रहीं चमक कर नोच।
जनमत आज कुचल रही, फिर भीतर की सोच॥

वैसा ही मन निर्दयी, पहन वोट का ताज।
फर्क बचा तब क्या यहाँ, ज्यों ब्रिटिश का राज।।

चलती अब भी गोलियाँ, हुई रफ़्तार मन्द।
कभी बैन यूट्यूब है, कभी पत्रकार है बंद॥

लोकतंत्र का ताज है, जनता की आवाज़।
मौन करा के क्या मिला? पलटे तख्तों ताज॥

जलियाँ में जो ना मरे, वे भी मरते आज।
सत्ता के शैतान अब, घोट रहे आवाज़॥

“अंधभक्त” या “ट्रोल” की, सेना है तैयार।
प्रश्न किया यदि राज पर, देख जेल का द्वार॥

रक्त लिखी जो चेतना, खोती कब आवाज़।
गूंज रही हर ईंट में, सौरभ आहें आज॥

दीवारें जलियाँ कहें, मत करना तू गर्व।
जब तक सच ना गूँजता, रहे अधूरा पर्व॥

डायर चला, जनरल गया, नहीं गई पर सोच?
सत्ता भीरु खा रहे, आज देश को नोच॥

देश न बिके दलाल से, ना नेता की चाल।
देश जिए जब बोल सके, अंतिम किया हलाल॥

जलियाँ वाला एक दिन, बना आग का रूप।
गली गली अब खोजती, वह साहस वह भूप॥

जलियाँ तेरा खून कहे, अब भी है प्रतिबंध।
सूट पहन डायर चला, बोली करता बंद॥

चमक रहा है कैमरा, सच्चाई लाचार।
बस लालच की दौड़ में, बिकाऊ समाचार॥

गूगल कर के देख लो, क्या था सच का भाव।
तुमने तो कर सब दिया, प्रोपेगैंडा का दाव॥

फेसबुक पर श्रद्धांजलि, बड़ा ट्वीट में शोर।
मगर ज़मीं पर आज भी, सत्ता ही है चोर॥

डायर की गोली चली, “चार्जशीट” अब रीत।
कलम उठाने पर मिले, देशद्रोह की फीत॥

परिभाषा अब “राष्ट्र” की, सत्ता का हथियार।
चुप रह तो भक्त है, जो बोले गद्दार॥

लाठी से न्याय मिले, ये कैसे कानून।
अदालते जलियाँ बनी, पीती चुप हो खून॥

— डॉ सत्यवान सौरभ

डॉ. सत्यवान सौरभ

✍ सत्यवान सौरभ, जन्म वर्ष- 1989 सम्प्रति: वेटरनरी इंस्पेक्टर, हरियाणा सरकार ईमेल: [email protected] सम्पर्क: परी वाटिका, कौशल्या भवन , बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045 मोबाइल :9466526148,01255281381 *अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों भाषाओँ में समान्तर लेखन....जन्म वर्ष- 1989 प्रकाशित पुस्तकें: यादें 2005 काव्य संग्रह ( मात्र 16 साल की उम्र में कक्षा 11th में पढ़ते हुए लिखा ), तितली है खामोश दोहा संग्रह प्रकाशनाधीन प्रकाशन- देश-विदेश की एक हज़ार से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशन ! प्रसारण: आकाशवाणी हिसार, रोहतक एवं कुरुक्षेत्र से , दूरदर्शन हिसार, चंडीगढ़ एवं जनता टीवी हरियाणा से समय-समय पर संपादन: प्रयास पाक्षिक सम्मान/ अवार्ड: 1 सर्वश्रेष्ठ निबंध लेखन पुरस्कार हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी 2004 2 हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड काव्य प्रतियोगिता प्रोत्साहन पुरस्कार 2005 3 अखिल भारतीय प्रजापति सभा पुरस्कार नागौर राजस्थान 2006 4 प्रेरणा पुरस्कार हिसार हरियाणा 2006 5 साहित्य साधक इलाहाबाद उत्तर प्रदेश 2007 6 राष्ट्र भाषा रत्न कप्तानगंज उत्तरप्रदेश 2008 7 अखिल भारतीय साहित्य परिषद पुरस्कार भिवानी हरियाणा 2015 8 आईपीएस मनुमुक्त मानव पुरस्कार 2019 9 इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ रिसर्च एंड रिव्यु में शोध आलेख प्रकाशित, डॉ कुसुम जैन ने सौरभ के लिखे ग्राम्य संस्कृति के आलेखों को बनाया आधार 2020 10 पिछले 20 सालों से सामाजिक कार्यों और जागरूकता से जुडी कई संस्थाओं और संगठनों में अलग-अलग पदों पर सेवा रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, (मो.) 9466526148 (वार्ता) (मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप) 333,Pari Vatika, Kaushalya Bhawan, Barwa, Hisar-Bhiwani (Haryana)-127045 Contact- 9466526148, 01255281381 facebook - https://www.facebook.com/saty.verma333 twitter- https://twitter.com/SatyawanSaurabh

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