अटल, अटल था, अटल ही रहेगा
अटल जी सिर्फ अटल नहीं अजातशत्रु भी थे
नीति नियम सिद्धांतों के पुरोधा थे,
राजनेता, कुशल वक्ता, पत्रकार, संपादक
संवेदनशील कवि हृदय,
सादा, सरल, सहज जीवन के स्वामी
जिसका जीने का ढंग बड़ा निराला था।
सैद्धांतिक मूल्यों के वटवृक्ष
अपने चुटकीले अंदाज, बेलौस भाव और तार्किकता से
विरोधियों को भी निरुत्तर करने का उनका गुण
विरोधियों को भी नतमस्तक होने को मजबूर करता था।
राष्ट्रप्रेमी, राष्ट्र भक्त अटल जी ने 1977 में
जब संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व
बतौर विदेश मंत्री किया और अपना भाषण हिंदी में दिया,
देश विदेश देश में हिन्दी का मान बढ़ाया,
अपनी हिंदी भाषा को गौरव का भान कराया,
संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में यह पहला अवसर था
जब किसी ने हिंदी में भाषण देकर इतिहास रचा था।
जिसका उदाहरण आज भी दिया जाता है।
विचारों पर दृढ़ता जिसकी पहचान थी,
लोभ-लालच और अनीति को
जिसने सदा आइना दिखाया,
सिद्धांतों से न कभी समझौता किया,
सत्ता को भी जिसने ठोकर मारकर
सत्ता के लालचियों और कुटिल राजनीति के संवाहकों को
नीति, नियम सिद्धांतों का आइना दिखा दिया।
अपने नाम के अनुरूप अटल
सदा सिद्धांतों पर अटल रहे,
देश हित में अनेकों बड़े काम अटल जी ने किए,
चतुर्भुज सड़क योजना उनकी ही सोच का नाम है,
नदियों को जोड़ने का विचार
उनके दूरदृष्टि सोच का परिणाम है।
पश्चिमी देशों के दबाव में भी उन्हें नहीं भाया
भारत में सफल परमाणु परीक्षण कर
राष्ट्र को परमाणु शक्ति से संपन्न किया।
राष्ट्र और राष्ट्रहित से बढ़कर और कुछ नहीं है,
हर दिल में ये जज्बा जगाया।
नमन करते हैं हम अटल जी की अटल शख्सियत को जिसने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था खुद को,
पर कभी झुकने न दिया अपने या राष्ट्र के सम्मान को।
अटल जी जैसे अजातशत्रु नहीं आते हैं बार बार
लेकिन जब आते हैं तब नया इतिहास लिखा जाते हैं,
अपने नाम के अनुरूप सदा के लिए अटल हो जाते हैं
अटल, अटल था और अटल ही रहेगा
यह समाज, राष्ट्र और दुनिया को दिखा जाते हैसुधीर श्रीवास्तव २१.१२.२०२४
[05/04, 4:51 pm] Sudhir: व्यंग्य √√
औपचारिकता
नवरात्रों मेंं माँ का दरबार सजेगा,
माँ के नवरूपों की पूजा होगी,
धूप दीप आरती होगी
हर ओर नया उल्लास होगा।
चारों ओर माँ के जयकारे गूँजेंगे
माँ की चौकियाँ सजेंगी, जागरण भी होंगे,
माँ को मनाने के सबके, अपने अपने भाव होंगे।
मगर इन सबके बीच भी, बेटियों पर अत्याचार होंगें
उनकी अस्मत लूटी जायेगी,
उनकी लाचारी की कहानी, फिर हमें धिक्कारेगी।
हम फिर मोमबत्तियां जलायेंगे
संवेदना के भाव दर्शाएंगे,
पर कुछ करने का भाव,
दृढ़ प्रतिज्ञ होकर नहीं दिखायेंगे।
नवरात्रों में बेटियों को पूजेंगे,
चरण पखारेंगे, माथे लगाएंगे,
टीका करेंगे, माला पहनाएंगे
आशीर्वाद की लालसा में झोलियाँ फैलाएंगे,
अगले वर्ष का आमंत्रण भीआज ही पकड़ायेंगे।
देवी माँ खूब रिझायेंगे
मगर ये सब करके भी हम
बेटी बहन की सुरक्षा, स्वाभिमान का
बस! संकल्प नहीं कर पायेंगे,
देवी माँ का पूजन करने की
हर बार की तरह इस बार भी
मात्र औपचारिकता ही निभायेंगे।
अपनी तसल्ली के लिए बस
देवी माँ के चरणों में हाजिरी लगायेंगे
जय माता दी जय माता दी का शोर बस गुँजाएंगे।