पुस्तक समीक्षा

एहसासों की निर्मल धारा:’एहसास कभी मिटा नहीं करते’

कविता लिखना अर्थात संवेदनशील सूक्ष्म दृष्टि से भावों को आत्मसात करके उन्हें अभिव्यक्त करना। अनेक भावनाओं का आत्म-अवलोकन करके उन्हें शब्द रूप देना… हृदय जो अपने आसपास की अनुभूतियों को महसूस करता है, उसे काव्यात्मक रूप में शब्दों में बांधना ही तो कविता है और नृपेन्द्र अभिषेक नृप इस विधा में अत्यंत पारंगत हैं। यह बात उनके काव्य संग्रह ‘एहसास कभी मिटा नहीं करते’ को पढ़ने के बाद पाठक सहज ही अनुभव करता है।

जिस भी भाव को वे छूते हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने उन एहसासों को स्वयं जिया है और फिर उन्हें शब्दों में ढाल दिया है। उनकी संवेदनशीलता इस संग्रह की आत्मा है। ‘एहसास कभी मिटा नहीं करते’ एक ऐसा काव्य संग्रह है जिसमें लेखक ने अनुभूतियों को आत्मीयता के साथ समेटकर काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी है। यह संग्रह पाठकों को जीवन के विविध भावों से परिचित कराता है।

इस पुस्तक में जीवन के हर पक्ष, भावना और विषय को छूने का प्रयास किया गया है। यह 75 कविताओं की काव्यमाला है, जिसका प्रत्येक मोती संवेदनशीलता और नर्म एहसासों से स्पंदित है। इस संग्रह की पहली कविता ‘शहर की सहर’ गांव की सोंधी माटी और शहर की सामाजिकता को समेटते हुए पाठक को ग्रामीण जीवन की सौंधी सुगंध से परिचित कराती है।

फिर ‘सपनों की बस्ती बह गई बाढ़ में’ कविता में बेहद संवेदनशील शब्दों के माध्यम से बाढ़ की पीड़ा को प्रस्तुत किया गया है-
“पानी में डूबे घरों का बस अब मंजर है,
हर कोई यहां बेबस और बंजर है,
सपनों की बस्ती बह गई बाढ़ में,
हर तरफ आंसू का फैला समंदर है।”

वहीं ‘शाश्वत प्रेम’ कविता प्रेम की पारंपरिक धारणाओं से हटकर एक नई दृष्टि प्रस्तुत करती है – प्रेम इतना तीव्र है कि वह चाहने वाले के सपनों को भी तोड़ सकता है। ‘मौन रहता हूं’ कविता में पाठक एक कल्पनालोक में विचरण करता है, जहां प्रेम, जुगलबंदी और मनुहार का कोमल संसार आकार लेता है।

‘बेरोजगारी का दाग’ कविता युवाओं की पीड़ा को उजागर करती है- उनकी वेदना, उनके टूटते सपनों और सामाजिक अपेक्षाओं की गूंज बनकर उभरती है। और अंत में, शीर्षक कविता ‘एहसास कभी मिटा नहीं करते’ हृदय को फिर से सपनों की कोमल दुनिया में ले जाती है, जहां भावनाएं अमिट रहती हैं।

लेखक ने जीवन के प्रत्येक पहलू को बहुआयामी दृष्टिकोण से देखा है और पूरी गहनता व संवेदनशीलता से भावों को काव्य में निचोड़ कर प्रस्तुत किया है। नृपेन्द्र अभिषेक नृप का यह काव्य संग्रह हिंदी साहित्य प्रेमियों को निराश नहीं करता। इसकी पठनीय कविताएं पाठक के मन-मस्तिष्क में दीर्घकाल तक गूंजती रहती हैं। निःसंदेह, यह एक संग्रहणीय काव्य कृति है।

समीक्षक: रेखा शाह ‘आरबी’
पुस्तक: एहसास कभी मिटा नहीं करते
लेखक: नृपेन्द्र अभिषेक “नृप”
प्रकाशन: लायंस पब्लिकेशन, ग्वालियर
मूल्य: 180 रुपये
प्रथम संस्करण : मार्च 2025

*रेखा शाह आरबी

बलिया (यूपी )

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