कफ़न तेरी फितरत
एक अनजान बने हुए लोगों को,
इसकी अहमियत नहीं होती है।
कुछ हमदर्दी जताते हैं,
कुछ लोग इसके लिए,
बस जिंदगी की खुशियां खत्म होने की,
बातें सुनाई देती है।
जिसकी वजह से बनी यह कफ़न,
बस चन्द पैसे ही,
अक्सर कमा पाते हैं।
बड़ी तकलीफें देती है,
इस कारण से,
लोग इसके खरीदने बेचने वाले सौदे में,
कुछ ख़ास नहीं जमा कर पाते हैं।
खरीदने वाले को इसकी वजह से रूबरू होना पड़ता है,
जिनके लिए है,
वह देखने की चाहत रखने पर भी,
कुछ देख नहीं पाता है।
इसकी अहमियत को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है,
बड़ी फितरत है,
सब कहते हैं कि,
अक्सर इस नाचीज़ को,
समझने में काफी वक्त लग जाता है।
बनाने वाले,
चन्द पैसे से ही,
खुशियां खरीद पाते हैं।
खरीदने वाले,
इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं,
इस्तेमाल करने वाले,
कुछ जान पाते नहीं है कि आखिर,
कफ़न क्यूं और किसके लिए है,
जिंदगी की धूप-छांव में,
समझने की,
बिल्कुल हिम्मत नहीं है।
— डॉ. अशोक, पटना