कविता

कफ़न तेरी फितरत

एक अनजान बने हुए लोगों को,
इसकी अहमियत नहीं होती है।
कुछ हमदर्दी जताते हैं,
कुछ लोग इसके लिए,
बस जिंदगी की खुशियां खत्म होने की,
बातें सुनाई देती है।

जिसकी वजह से बनी यह कफ़न,
बस चन्द पैसे ही,
अक्सर कमा पाते हैं।
बड़ी तकलीफें देती है,
इस कारण से,
लोग इसके खरीदने बेचने वाले सौदे में,
कुछ ख़ास नहीं जमा कर पाते हैं।

खरीदने वाले को इसकी वजह से रूबरू होना पड़ता है,
जिनके लिए है,
वह देखने की चाहत रखने पर भी,
कुछ देख नहीं पाता है।

इसकी अहमियत को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है,
बड़ी फितरत है,
सब कहते हैं कि,
अक्सर इस नाचीज़ को,
समझने में काफी वक्त लग जाता है।

बनाने वाले,
चन्द पैसे से ही,
खुशियां खरीद पाते हैं।
खरीदने वाले,
इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं,
इस्तेमाल करने वाले,
कुछ जान पाते नहीं है कि आखिर,
कफ़न क्यूं और किसके लिए है,
जिंदगी की धूप-छांव में,
समझने की,
बिल्कुल हिम्मत नहीं है।

— डॉ. अशोक, पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]

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