और क्या
🌹और क्या 🌹
फूल उल्फत के खिलेंगे और क्या |
मुस्कुरा कर हम जियेंगे और क्या|
हौंसलों से हार जाती मुश्किलें,
दीप बनकर हम जलेंगे और क्या |
पत्थरों का खौफ देना छोड़ दो,
पत्थरों को हम खलेंगे और क्या |
लाख कर लो कोशिशे ज़ुल्मों सितम |
बनके दरिया हम बहेंगे और क्या |
नफरतों की आग जो फैला रहे |
आग में खुद ही जलेंगे और क्या |
है मोहब्बत पाक दरिया नूरे रब,
इश्के दरिया में बहेंगे और क्या
खुशगवारी आरज़ू अरमान सब,
दायरे बढ़ते रहेंगे और क्या |
पंख को परवाज़ मिल जाए मृदुल,
चाँद को हम भी छुएंगे और क्या |
©®मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”✍🏾