चलो तो सही दो कदम
चलो तो सही दो कदम, ओ मेरे मन मीत।
बिना कर्म के है नहीं, मिले कभी भी जीत।।
कर्मशील ही साधना, करिये हम निष्काम।
मन चाहा ही फल सदा, देते हैं भगवान।।
चलो तो सही दो कदम, मन में हो विश्वास।
मंजिल कितनी दूर हो, आती है खुद पास।।
सोया चादर तान के, रखे हाथ पर हाथ।
कुदरत भी देती नहीं, उस बंदे का साथ।।
चलो लगन के साथ तुम, धैर्य धरो मनधीर।
गहरा कितना नीर हो, पा लेते हैं तीर।।
आती मुश्किल देख के, मत जाना तूम हार।
हिम्मत से कर सामना, पा लेते हैं पार।।
औरों को भी साथ ले, देख रहे जो राह।
प्रतिभा उन में है छुपी, कुछ करने की चाह।।
चलो तो सही दो कदम, विजय खड़ी उस पार।
स्वागत होगा शान से, डाल गले में हार।।
— शिव सन्याल