गीत/नवगीत

नहीं किसी को कभी डराओ

नहीं किसी से स्वयं डरो

नहीं किसी से प्रेम की चाहत, नहीं किसी से प्रेम करो।

नहीं किसी को कभी डराओ, नहीं किसी से स्वयं डरो।।

निज स्वतंत्रता सबको प्यारी।

सीमित रखनी, सबसे यारी।

सबके अपने खेल निराले,

सबकी अपनी-अपनी पारी।

जीवन से खिलवाड़ करो ना, नहीं किसी से मेल करो।

नहीं किसी को कभी डराओ, नहीं किसी से स्वयं डरो।।

जीवन जीना है खुलकर के।

रोना भी है,यहाँ हँस करके।

जिस पर भी विश्वास करोगे,

चला जाएगा, वह ठग करके।

सामाजिक कर्तव्य निभाओ, नहीं किसी की जेल करो।

नहीं किसी को कभी डराओ, नहीं किसी से स्वयं डरो।।

प्रेम जाल में कभी न फसना।

नहीं पड़ेगा तुम्हें तरसना।

विश्वसनीय बन, विश्वास न करना,

विश्वासघात से भी है बचना।

नहीं किसी के खेल में फसना, नहीं किसी से खिलवाड़ करो।

नहीं किसी को कभी डराओ, नहीं किसी से स्वयं डरो।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)

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