गीत/नवगीत

नहीं, प्रेम तुम खोजो बाहर,

खुद ही, खुद से प्रेम करो।

खुद ही, खुद को समय निकालो, खुद ही खुद के कष्ट हरो।

नहीं, प्रेम तुम खोजो बाहर, खुद ही, खुद से प्रेम करो।।

सबके अपने-अपने स्वारथ।

कोई नहीं करता परमारथ।

जिनसे भी उम्मीद तू करता,

वह ही करते, जीवन गारत।

पल-पल को आनंद से जीओ, प्यारे! पल-पल नहीं मरो।

नहीं, प्रेम तुम खोजो बाहर, खुद ही, खुद से प्रेम करो।।

नहीं कोई अपना, नहीं पराया।

सबने अपना राग सुनाया।

विश्वास बिना जीवन नहीं प्यारे!

विश्वासघात ने जाल बिछाया।

आत्मविश्वास जगा राष्ट्रप्रेमी, खुद पर तुम विश्वास करो।

नहीं, प्रेम तुम खोजो बाहर, खुद ही, खुद से प्रेम करो।।

अन्तर्मन में प्रेम जगाओ।

चाह नहीं, बस प्रेम लुटाओ।

नहीं किसी से चाहत कोई,

नहीं पटो, और नहीं पटाओ।

प्रेम की भूख सभी को यहाँ पर, नहीं किसी का प्रेम हरो।

नहीं, प्रेम तुम खोजो बाहर, खुद ही, खुद से प्रेम करो।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)

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