धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

रामलीला : भगवान राम की वीरता, धर्मपरायणता, न्यायप्रियता का दर्शन

रामलीला एक पारंपरिक लोक कला है, जो भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कला रामायण की कहानी को मंच पर प्रदर्शित करती है, जिसमें कलाकार राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान और रावण की भूमिकाएँ निभाते हैं। और भी कई किरदार हैं जो सहायक कलाकार होते हैं रामलीला की विशेषताएँ ये है कि,ये पारंपरिक कला है, इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है, समुदायिक भागीदारी से उसका प्रदर्शन शक्ति शाली होता है,मंच पर प्रदर्शन, संगीत, नृत्य और अभिनय का संयोजन देखते ही बनता है, दर्शक दिलचश्पी से ध्यान से देखते हैं, और समझते है, रामलीला प्रदर्शन में कई समस्याएँ, जो एक चुनौती के रूप में आ रही हैं, उनमें, आधुनिकीकरण की चुनौती,पारंपरिक कला की रक्षा,सरकारी समर्थन की कमी,दर्शकों की कमी और घटती रुचि, तकनीकी समस्याएँ, डिजिटल मीडिया. रामलीला को बचाने के लिए हमें, कुछ मुद्दों पर मंथन करना ही होगा। सरकारी समर्थन, सांस्कृतिक संगठनों की भागीदारी,शिक्षा और प्रशिक्षण,तकनीकी अद्यतन,दर्शकों की रुचि बढ़ाना इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चिंतन के साथ आगे बढ़ना होगा,
रामलीला एक महत्वपूर्ण लोक कला है, जो हमारी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती है। इसकी रक्षा और विकास के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। ये हमारा दायित्व भी बनता है।
हमारी भागीदारी रामलीला जैसी लोक कला को बचाने और बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। यहाँ कुछ तरीके हैं जिनसे हम अपनी भागीदारी दे सकते हैं। रामलीला के प्रदर्शन में जाकर दर्शक बनें और कलाकारों को प्रोत्साहित करें। रामलीला को बढ़ावा देने वाले संगठनों का समर्थन करें और उनकी गतिविधियों में भाग लें।
रामलीला के बारे में जानकारी फैलाएं और युवाओं को प्रशिक्षित करें ताकि वे इस कला को आगे बढ़ा सकें। रामलीला के प्रदर्शन में तकनीकी सहायता प्रदान करें, जैसे कि ऑडियो-विजुअल उपकरणों की व्यवस्था। सामाजिक मीडिया पर रामलीला के बारे में जानकारी साझा करें और लोगों को इसके प्रति आकर्षित करें। सरकार से रामलीला के लिए समर्थन और अनुदान की मांग करें ताकि इस कला को अधिक प्रोत्साहन मिल सके। स्थानीय समुदाय को रामलीला के प्रदर्शन में शामिल करें, और उनकी रुचि को बढ़ावा दें।
रामलीला से जुड़ी पुस्तकें, चित्र और अन्य सामग्री का संग्रह करें और एक पुस्तकालय या संग्रहालय की स्थापना करें। इन तरीकों से, हम रामलीला जैसी लोक कला को बचाने और बढ़ावा देने में अपनी भागीदारी दे सकते हैं।
रामलीला भगवान राम की जीवन कहानी को दर्शाती है, जो हमें कई महत्वपूर्ण मूल्यों का सबक सिखाती है। यह एक ऐसा माध्यम है जो हमें भगवान राम की महानता, उनकी नैतिकता, और उनके आदर्शों से प्रेरित करता है। रामलीला में हमें भगवान राम की वीरता, उनकी धर्मपरायणता, और उनकी न्यायप्रियता का दर्शन होता है। यह हमें यह भी सिखाती है कि कैसे हम अपने जीवन में सच्चाई, न्याय, और धर्म का पालन कर सकते हैं।
रामलीला के माध्यम से हमें कई प्रेरणादायक बातें मिलती हैं:सच्चाई और न्याय का पालन करें।धर्म और नैतिकता का पालन करें।वीरता और साहस का प्रदर्शन करें।अपने कर्तव्यों का पालन करें।अपने परिवार और समाज के लिए काम करें। रामलीला एक ऐसा माध्यम है जो हमें भगवान राम की महानता को समझने और उनके आदर्शों को अपनाने का अवसर प्रदान करता है। यह हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करता है। भगवान राम की जीवन कहानी हमें यह भी सिखाती है कि कैसे हम अपने जीवन में चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, और कैसे हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। रामलीला वास्तव में एक सुंदर और अच्छा माध्यम है जो हमें भगवान राम की महानता से प्रेरित है और हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करता है।

— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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