हम सबके अम्बेडकर
विश्वरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 14 अप्रैल 2025 को विश्व, उनकी 135वीं जयंती मनाने जा रहा है। जीवन भर समता के लिए संघर्षरत रहने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को समता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाबासाहेब अंबेडकर की प्रथम जयंती अंबेडकर अनुयाई सदाशिव रणपिसे द्वारा महाराष्ट्र के पुणे शहर में मनाई गई थी। बाबा साहब की जन्म जयंती उनके जीवित रहते हुए मनाने पर एकबार उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा था कि “मेरी जयंती मनाने के बजाय मेरे अधूरे कार्यों को पूरा करो।”
बाबा साहब अंबेडकर का जीवन संघर्षों भरा रहा हैं। गुलाम भारत में एक अछूत समझे जाने वाले महाराष्ट्र के महार परिवार में हुआ था। वे दलित,वंचित, पीड़ित, शोषित समाज की आवाज थे। उन्होंने अपने जीवन में महत्वपूर्ण जो कार्य किया उनमें दलितों का उद्धार। भारत की संपूर्ण महिलाओं का उद्धार। मजदूरों का उद्धार, देश का विस्तृत एवं लिखित संविधान लिखकर सबको बराबरी का दर्जा देना । 14 अक्टूबर 1956 को अपने 5 लाख अनुयायियों के साथ बौद्धधर्म को ग्रहण करनाआदि प्रमुख हैं।
वे आजाद भारत के प्रथम विधि मंत्री थे। उनके पास 32 डिग्रियां हासिल थी । उन्होंने चार विषयों में पी-एच.डी. किया था।वे 9 भाषाओं के ज्ञाता थे। 64 विषयों के मास्टर थे। डिएससी जैसी डिग्री को 8 वर्ष में पूरी होने के बजाय उन्होंने 2 वर्ष 3 माह में पूर्ण की थी। उनकी शिक्षा अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय एवं इंग्लैंड के लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस” (LSE) में पढ़ाई की और “ग्रेज़ इन” में दाखिला लेकर कानून की पढ़ाई की।1897 में मुंबई के एलफिंस्टन हाई स्कूल से बी ए. पास किया था।उनका साहित्य 21 वॉल्यूम में प्रकाशित हैं ।उन्होंने अपनी आत्मकथाअंग्रेजी भाषा में “वेटिंग ऑफ वीजा”लिखी है जो 6 अध्यायों में विभक्त है ।
उनके जीवन में ब्राह्मण गुरु कृष्ण केशव जी अंबेडकर ने उन्हें “अंबेडकर” उपनाम देकर महानता दिखाई थी।वे उनसे बेहद प्रभावीत थे तथा उनसे बेहद प्यार करते थे। दादा केलुस्कर ने उन्हें बुद्ध की जीवनी प्रदान कर उनके जीवन को एक नया मोड़ दिया था। उन्होंने अपने जीवन में मुख्य तीन गुरुओं को माना था। बौद्धधर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध, संत कबीर और महात्मा ज्योतिबा फुले।
उन्होंने दलितों के हेतु महाड़ सत्याग्रह किया। दुनिया के वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पानी के लिए सत्याग्रह किया। वे देश की आजादी से पहले सामाजिक आजादी चाहते थे। आजाद भारत में सामाजिक परिवर्तन का भविष्य लिखने वाले वे प्रथम भारतीय थे जिन्होंने समता मूलक समाज हेतु सामाजिक न्याय, राष्ट्रीयता की अनिवार्यता और बंधुत्व की भावना की मजबूत लकीर खींचने का महत्वपूर्ण कार्य किया था। वह कहते थे -मुझे एक ऐसा समाज पसंद है जो “समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व को सीखना है।”
वे अपने अनुयायियों से कहते थे-“जुल्म करने वालों से जुल्म सहने वाला ज्यादा गुनहगार है।” “अन्याय से लड़ते हुए अपनी मौत हो जाती है तो आपकी आने वाली पीढ़ियां उसका बदला जरूर लेगी और अगर अन्याय सहन करते हुए आपकी मौत हो जाती है तो आपकी और आने वाली पीढ़ियां भी गुलाम बनी रहगी
।” वह कहते थे”धर्म मनुष्य के लिए बना है ना कि मनुष्य धर्म के लिए।”
उनके महान विचार आज भी हमें प्रेरणा देते हैं-शिक्षित बनो! संगठित रहो! संघर्ष करो।
वे अपने हितेषियों को कहते थे -” तुम्हारे पैरों में जुत न हो पर हाथों में किताब जरूर होनी चाहिए।” कहते थे-“कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है। जब राजनीति शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।”
“जीवन लंबा होने की बजाय महान होना चाहिए।” एक राष्ट्रवादी महापुरुष थे। कहते थे मैं प्रथमत: भारतीय हूं और अंततः भारतीय हूं।
आजादी की 78 वर्ष बाद भी करोड़ दलित आज भी लोकतंत्र में आजादी की ताजी हवा से वंचित है।आंसू के घूंट पी रहे हैं और छुआछूत भेदभाव तथा सामाजिक आर्थिक गुलामी की जंजीरों में झगड़े हुए हैं। आज भी उनके साथ में भेदभाव और छुआछूत की जाती हैं। दलित दुलृहों को आज भी घोड़ी से उतरा जाता है। उनके साथ में मारपीट और जातिगत अप शब्दों का प्रयोग किया जाता है। भारत में जातिवाद रूपी राक्षस जब तक जिंदा रहेगा तब तक दलित इंसान की मानवता को कच्चा चबाता रहेगा। न तो सही रूप से आर्थिक विकास हो पाएगा और नही सामाजिक ।
डॉ अंबेडकर सच्चे रूप से दलितों और महिलाओं के हीरो है । वे महिलाओं के बारे में रहते थे-“मैं किसी समाज की प्रगति का अनुमान इस बात से लगाता हूं कि उस समाज की महिलाओं ने कितनी प्रगति की है ” .हिंदू कोड बिल पास करवाने का अथक प्रयास किया और पूर्ण न होने पर उन्होंने इस्तीफा तक दे दिया उनसे बढ़कर महिला हितेषी और हिमायती कौन हो सकता है ?
उन्होंने विश्व का अद्भुत संविधान लिखा जिसमें सबको समान अवसर प्रदान किया है ।हर जाति धर्मके लोगों का ध्यान रखा ।संविधान की प्रस्तावना विश्व की बेस्ट प्रस्तावना है “हम भारत के लोग…. ” उत्कृष्ट लोकतंत्र का सपना संजोने वाले संविधान निर्माता .बाबा साहब ने आज भारत की बदलती तस्वीर में रंग और खुशबू भरने का काम किया ।संविधान में 6 मौलिक अधिकारों में पहला अधिकार ही समानता है ।उन्होंने सामान्य के लिए महान कार्य किया ।संविधान बनाने में 2 वर्ष 11 में 18 दिन का समय लगा ।मूल संविधान में 395 अनुच्छेद 22 भागों में विभाजित हैं .जिसके अंतर्गत 12 अनुसूचियां हैं। 284 हस्ताक्षर किये हुए हैं ।
संविधान के प्रारूप समिति के साथ सदस्यों में से किसी का सहयोग न मिल पाने की वजह से सारा भार बाबा साहब अंबेडकर के पर आ गया था जो उन्होंने बखुबी निभाया था।
हमें मिलकर बाबा साहब के सपनों का भारत बनाना चाहिए । उनकी शिक्षाओं एवं उनके बताए गए .मार्ग को अपनाना चाहिए ।उनका प्रिया रंग आसमानी था जिसका अर्थ यह था कि आसमान नीला है और आसमान पूरी दुनिया के लिए एक समान होता है ।उन्होंने अपने जीवन में हरलड़ाई लड़ी और उसमें सफलता अर्जित की । उन्होंने जो भी भविष्यवाणी की .वह आज भी .सार्थक हुई है ।आज दुनिया में सबसे ज्यादा मूर्तियां .बाबासाहेब अंबेडकर की है ।आज दुनिया में जन आंदोलन और न्याय की लड़ाई में .सबसे बड़ा आइकॉन है तो वह डॉक्टर बी आर अंबेडकर है । वे आज भी प्रसंगिक है। उनकी आत्मकथा भारत के किसी विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती हो या नहीं किंतु अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती है। भारत में मानव अधिकार के जनक के रूप में अगर देखा जाए तो अंबेडकर साहब से बेहतर कोई नहीं होगा। उनके बारे में पंडित नेहरू ने कहा था -“डॉक्टर अंबेडकर ने हमें न केवल एक मजबूत संविधान दिया बल्कि उन्होंने सामाजिक समता की नींव भी रखी। वे एक सच्चे राष्ट्र निर्माता थे।” उनके विचार और उनके कार्य अद्भुत थे। आने वाला समय ऐसे मानवतावादी, समतावादी और महिला हितेषी महापुरुष डॉ. अंबेडकर का होगा।
— डॉ. कान्ति लाल यादव
आपको यह भी बताना चाहिए था कि स्वतंत्रता संग्राम में डॉ अंधेरकर का क्या योगदान था.