अकेला कौन?
दिल की गहराई से,
कहीं हुई बातें,
ज़ुबान की सच्चाई रिश्ते तोड़ देती है।
उम्मीद में सुकून देने वाली ताकत बनकर,
रहने की लगातार कोशिश,
दुनिया में इसकी वजह से ही,
हमेशा कमजोर होती है।
मीठापन घोलते हुए,
कही गई बातें सबको रास आता है।
समन्दर पार कर,
आगे बढ़ने की चाहत रखने वाले लोगों को,
यह दृश्य नहीं भाता है।
हमदर्दी जताएंगे तो,
सही मुकाम पर पहुंचने की एक सीढ़ी बनाई जाती है,
कठोर वाणी में,
यह लहज़ा नज़र नहीं आती है।
अक्सर ठोकरें खाते हुए,
लोगों को समझाने की गहराई नसीब नहीं होता है।
समन्दर पार करने का,
यह एक हकीकत है,
इसमें उम्मीद खत्म करने का,
सबकुछ स्पष्ट दिखता है।
कठोर वाणी की आहटें,
दूर तक सुनाई देती है।
इसकी वजह से ही दूरियां बढ़ती ही जाती है।
नतीजा सही निकले,
ऐसी कोशिश नहीं की जाती है।
फलसफा है तो,
सही मुकाम पर पहुंचने वाले लोगों को,
सबकी निगाहें,
इसपर अक्सर नज़र आती है।
— डॉ. अशोक, पटना