यमलोक में मृत्यु भोज
तपती दुपहरी में अभी-अभी यमराज मेरे पास आया
पसीने से तर-बतर यमराज को मैंने प्यार से बैठाया
ए. सी.- कूलर साथ-साथ चलाया
तब जैसे उसके जान में जान आयी।
श्रीमती जी के कोप से बचने का
शार्टकट फार्मूला मैंने अपनाया,
गुड़ का डिब्बा तो सिरहाने रखा ही था,
दो लीटर पानी का बोतल फ्रिज से निकाल लाया,
सम्मान से अपने प्यारे मित्र को जलपान कराया।
बँदा बड़ा शरीफ निकला
डिब्बे का सारा गुड़ साफ कर गया,
दो लीटर पानी की पूरी बोतल
एक साँस में ही गटक गया।
फिर बड़े प्यार से सोफे पर पसर गया,
जैसे आज बड़ी फुर्सत में आ गया।
पर यहाँ मैं ग़लत था साबित हो गया
मेरी गारंटी है कि आप भी ग़लत हो
हम आप जैसा सोचते हैं, वैसा बिल्कुल नहीं है।
क्षणिक विश्राम के बाद बँदा उठकर बैठ गया
और बोला – प्रभु! आपका कल्याण हो गया ,
मेरे दिमाग में आपकी खातिर
एकदम नया विचार आ गया।
हुक्म हो तो सामने लाऊँ
और अपने विचार को शब्दशः सुनाऊँ।
मैंने हथियार डाल दिया -चल भाई अब बक ही दे
नहीं भी चाहूँ तो क्या ऐसा हो सकता है?
कि तू मुझे बख़्श दे।
उसने सिर खुजाते हुए कहा- सो तो है प्रभु
यही तो अपना विशेष गुण है।
खैर छोड़िए? आपके सामने अपनी तारीफ क्या करुँ?
अच्छा है सीधे-सीधे अपना विचार आपसे साझा करुँ।
मैं भी लाचार था, उसका विचार सुनने को तैयार था।
आप भी चाहो तो सुन सकते हो
डर लग रहा हो तो पतली गली से निकल सकते हो।
जो भी है शराफत का परिचय दीजिए
पर मेरे मित्र यमराज को डिस्टर्ब बिल्कुल न करिए।
बड़े सम्मान से यमराज कहने लगा
प्रभु! धरती पर तो मृत्यु भोज का चलन है
पर यमलोक में ऐसा बिल्कुल नहीं है,
मुझे तो कभी कोई बुलाता भी नहीं है,
इसलिए मृत्यु भोज का तनिक अनुभव भी नहीं है।
पर अब मैं भी सोचता हूँ
कि यमलोक में भी मृत्यु भोज की नींव डाल दूँ,
आपके मृत्यु भोज का प्रबंध
धरती के बजाय यमलोक में करके
एक नया इतिहास रच दूँ,
और इसकी शुरुआत करने के लिए
आपका नाम प्रचारित कर दूँ,
इतने भर से आपका नाम इतिहास में लिखा जायेगा
साथ में मेरा भी थोड़ा बहुत नाम हो जायेगा,
धरती का तो मुझे पता नहीं,
पर यमलोक में मृत्यु भोज का
जब भी इतिहास लिखा जाएगा ,
सच मानिए! आपका नाम इसके जनक के रूप में
बड़े सम्मान से लिखा जायेगा,
और आपके साथ मेरा नाम भी अमर हो जाएगा।
यमराज की बात सुनकर मैंने बड़े प्यार से कहा –
इसके लिए तो मुझे मरकर तेरे साथ चलना पड़ेगा
या कोई और विकल्प है, जो मुझे चुनना पड़ेगा।
बड़ी मासूमियत से यमराज कहने लगि-
प्रभु! आप मेरे मित्र हो
फिर इतनी चिंता क्यों करते हैं?
आपको जीते जी यमलोक ले चलूँगा
फिर आराम से वहीं बैठकर बाकी
आगे का विचार कर सारा प्रबंध कर लूँगा।
वैसे भी आपको मरने की जरूरत नहीं पड़ेगी
मैं आपके जीते जी ही मृत्यु भोज का आयोजन कर लूँगा,
यमलोकी आत्माओं को तरह-तरह के पकवान जिमाऊँगा,
तब तक आपको एक सिंहासन पर
मुख्य अतिथि के रूप में बैठाऊँगा
सेवा में सौ-पचास सेवादार लगा दूँगा,
भोज के बाद चुपचाप ससम्मान
आपको आपके बिस्तर पर छोड़ जाऊँगा।
सच मानिए! मजा आ जायेगा
धरती पर हाहाकार मच जायेगा
जब इसका समाचार अखबार, टीवी,
सोशल मीडिया में विस्तार से आ जाएगा,
आप मरोगे भी नहीं और यमलोक में
आपके नाम का मृत्यु भोज हो जाएगा,
इतिहास लिखने वालों को भी यहाँ- वहांँ
मुफ्त में एक नया विषय मिल जाएगा।
फिलहाल तो मैं चलता हूँ
मना करने का आपके पास कोई विकल्प नहीं है,
ये बात आपसे बेहतर भला कौन जानता ह
तभी तो आपके पास केवल मैं ही बेरोकटोक आता जाता हूँ,
आप और हम मित्र हैं, ये बात सबको गर्व से बताता हूँ।
सुधीर श्रीवास्तव