बाल कविता

चले हराने

गरम हवा के चले तराने ,
सड़कों पे आए वीराने।

ए सी पंखा कूलर जी अब ,
गरमी जी को चले हराने।

शीतल जल मन को भाता है ,
जब आते लू लपट डराने।

लस्सी अमरस आइस गोले ,
आते हैं ठंडक बिखराने।

मोटू भागा कुल्लू शिमला ,
वहां गजब के थे नजराने।

— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

द्वारा जतिन वर्मा E 1---1103 रोहन अभिलाषा लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली वाघेश्वरी मंदिर के पास पुणे [महाराष्ट्र] पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328

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