नैना भीगे रे….
सुना है की वो! आजकल हैं शहर में
कहता है दिल की मुलाकात होगी,
मिलेंगे दो नैना जो उनकी नयन से
तो संभव है नजरों से बरसात होगी।
सुना है कि वह आजकल है शहर में….
उन्हीं की ये जिद थी तुम घर बसा लो
चलो तुम भी हाथों में मेहंदी रचा लो
खबर हो गई हम की अब भी हैं वैसे
तो चेहरे की उनकी क्या रंगत होगी।
सुना है कि वह आजकल है शहर में…
लगी उठने हसरत मिलन अब तो तय है
तो बुनने लगे वो कि कल कैसा होगा
घूँघट में प्रियवर से दीदार होगी
तो जानम वो कितनी हँसी रात होगी।
सुना है कि वह आजकल है शहर में
कहता है दिल की मुलाकात होगी।
मिलेंगे नयना जो उनकी नयन से
तो संभव है नजरों से बात होगी।
— सविता सिंह मीरा