शेर और बिल्ली
हर आदमी त्रस्त
बोलती उसकी बंद है
आवाज उसकी दबा दी जाती
खोलता जब भी वह जुबान है
बाहर भले कहते फिरे
शेर है दबंग है
सच तो यह है घर में
जब भी वह घुसता है
दबे पैर ही घुसता है
औढ़ा होता है जो लाबादा शेर का
घर आते ही पांसा पलट जाता है
घर वाली शेर
और मियाँ भीगी बिल्ली हो जाता है