यमराज मेरा यार
जीवन के गहरे उद्देश्य को सार्थक करता काव्य संग्रह –
प्रस्तुत हास्य -व्यंग्य काव्य संग्रह “यमराज मेरा यार” की समीक्षा से पूर्व मूल अभिप्राय समझने के लिए हमें इसके लेखक डॉ. सुधीर श्रीवास्तव के दृष्टिकोण, मनोभाव और पुस्तक की विषय वस्तु को समझना अति आवश्यक होगा।
लोकरंजन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित प्रस्तुत संग्रह “यमराज मेरा यार” से यह प्रतीत होता है कि इसमें मृत्यु और उसके बाद के जीवन के बारे में कविताएं या विचारों को वर्णित किया गया है। यमराज हिंदू पौराणिक कथाओं में मृत्यु के देवता हैं, और पुस्तक का शीर्षक एक दार्शनिक या आध्यात्मिक दृष्टिकोण को दर्शाती है।
संग्रह में शामिल विषयों को देखने, पढ़ने और मनन करने से लगता है कि रचनाकार ने निम्न बिंदुओं को अपनी रचना का आधार बनाया है :
(१) मृत्यु और उसके बाद का जीवन
(२)जीवन का अर्थ और उद्देश्य
(३)आध्यात्मिकता और धार्मिकता
(४)मानव जीवन की समस्याएं और उनके समाधान
मेरा निजी अभिमत है कि "यमराज मेरा यार" पुस्तक एक विचारोत्तेजक और आत्म-विचार एवं आत्म-मंथन से स्वानुभूति कराने वाली उत्कृष्ट पुस्तक है, जो पाठकों को जीवन के गहरे अर्थ और उद्देश्य को समझने के लिए प्रेरित करती है।
प्रस्तुत संग्रह “यमराज मेरा यार” की उपादेयता निम्नलिखित रूप में जानी जा सकती है:
- आत्म-विचार और आत्म-ज्ञान: पुस्तक पाठकों को अपने जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने के लिए प्रेरित कर सकती है।
- जीवन के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव: पुस्तक की कविताएं और विचार पाठकों को जीवन के प्रति एक नए दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
- आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण: पुस्तक पाठकों को आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से जीवन को समझने के लिए प्रेरित कर सकती है।
- मानसिक शांति और संतुष्टि: पुस्तक की कविताएं और विचार पाठकों को मानसिक शांति और संतुष्टि प्रदान कर सकते हैं।
- साहित्यिक आनंद: पुस्तक की कविताएं पाठकों को साहित्यिक आनंद प्रदान कर सकती हैं और उनकी साहित्यिक रुचि को बढ़ावा दे सकती हैं। अंत में मेरा मानना है कि “यमराज मेरा यार” काव्य-संग्रह पाठकों को जीवन के गहरे अर्थ और उद्देश्य को समझने के लिए प्रेरित कर उन्हें आत्म-विचार और आत्म-ज्ञान की दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर सकती है। प्रस्तुत संग्रह के प्रकाशन हेतु रचनाकार डाॅ. सुधीर श्रीवास्तव जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं और संग्रह के सफलता के साथ-साथ कवि के यशस्वी जीवन की मंगल कामनाएं व्यक्त करता हूँ।
भवेत् शुभं मंगलम्।
समीक्षक- डॉ. ओम प्रकाश मिश्र मधुब्रत(अज्ञातमेघार्जुनजमदग्निपुरी)