उठो जागो
कब तक सोते रहोगे,
हक़ अधिकार खोते रहोगे,
देखो दुश्मन अंदर है या बाहर,
जो होते हैं सदा कायर,
क्यों हमें फालतू बातों में
उलझाया जाता है,
झूठ को उड़ेलकर
सच छुपाया जाता है,
संविधान कहां कहां लागू है
इस बात को जानना होगा,
मस्तिष्क में भर चुका कचरा
इस बात को मानना होगा,
हमारे न जागने के कारण
कुछ भी कर जा रहे मुट्ठी भर लोग,
कर रहे सारे संसाधनों का उपभोग,
रूबरू कराया जा रहा बकवास से,
छेड़छाड़ किया जा रहा इतिहास से,
सतर्क न रहने का फल है कि
कोई भी कुत्सित घटना कर जा रहा है,
हमारी भावनाएं और
एकता बिखर जा रहा है,
चलो उठो जागो अब जागने का वक्त है,
देश उन्नति खातिर भागने का वक्त है,
मोतियां निकलना है ढूंढ अब समंदर से,
द्रोहियों को समूल नष्ट
करना है देश के अंदर से।
— राजेन्द्र लाहिरी