लेख

प्रश्नवाचक चिन्ह के दायरे में सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियां

22 अप्रैल 2025 दिन मंगलवार को पहलगांव की वादियों में 26 निर्दाेश पर्यटक यात्रियों को हमलावरों ने मौत के घाट उतार दिया, इस घटना के बाद पूरा देश हमलावरों व पाकिस्तानियों को लेकर आग बबूला नजर आ रहा है। पहलगांव के वायसरन घूमने जाने वालों का आखिर क्या दोष था ? जिनको अपनी जांन गावांनी पड़ी। देशवासियों को यकीन है कि देश सुरक्षित हाथों में है, नोट बंदी करके आतंकियों की कमर तोड़ दी गयी! धारा 370 को नेस्ताबूत करके कश्मीर की वादियों से आतंकवाद को खत्म कर दिया गया शायद इसलिये निर्भीक होकर देश के कोंने-कोंने से सैलानी कश्मीर की वादियों में अपने सुन्दर भारत के दर्शन करने के लिये जाने लगे। 22 अप्रैल 2025 को देखते हुये यही लगता है कि हमलावरों ने भी शायद ठान रखा कि आप चाहे कुछ भी करो हमारे हौंसले पस्त नहीं कर सकते! शायद इसलिये वह समय समय पर गहरे घाव देता रहता है।

यहां बात हमले की नही है नापाक इरादे रखने वाले हमारे पड़ोसी देश की यही फितरत है सोंचने वाली बात यह कि हम कहां हैं ? और क्या कर रहे हैं ? और किस हालत में हैं साथ में यह सभी सोंचना चाहिए कि हम समय-समय पर आतंकवाद की कमर तोड़ रहे हैं फिर भी आतंकवाद उठकर खड़ा हो जाता है इससे यह प्रतीत होता है कि! या तो हम कमर तोड़ नही पा रहे हैं ? या फिर आतंकवाद की कमर टूट नही रही है ? तभी तो 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ के काफिले पर जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग अवंतीपोरा के पास लेथपोरा में भारतीय सेना के सुरक्षाकर्मियों को ले जा रही एक बस को तीन सौ किग्रा0 विस्फोटक से भरी एक कार द्वारा जानबूझ टक्कर मार दी गयी जिसके कारण 76वीं बटालियन के 40 भारतीय सैनिक बेमौत मारे गये उस समय भी पूरा देश मोमबत्ती लेकर सड़कों पर उतरा दिखाई पड़ रहा था, सभी देशवासियों की आंखे नम हो गयी थी, इस घटना की जिम्मेंदारी पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी नतीजा क्या निकला वही ढाक के तीन पात।


एक कहावत है कुत्ते की दुम कभी सीधी नही हो सकती है, जब आपको पता है कि हमारा कुत्ता पागल हो गया है या तो उसकी स्वाभाविक मौत तक जंजीर से बांध कर रखा जाये या फिर किसी को न काटे पाये और अपने रैबीज को न फैला पाये इस लिये उसे खत्म कर दिया जाये, लेकिन हम कर क्या रहे हैं ? कुत्ता आता है काट कर चला जाता है इधर हम अपने घायलों का इलाज कराने एवं मृतकों को ढांढस बंधाने में लग जाते हैं और फिर कुत्ते के मालिक को चेतावनी देकर बक्श देते हैं, इसके बाद भी सबसे चिंताजनक बात यह है कि हमारी खुफियां एजेंसियां कहां थी और कर क्या रही थीं।

यही नही सीमा हैदर भी भारत की सीमा में दाखिल होने के लिये अपने साथ-साथ अपने चार बच्चों का पासपोर्ट बनवाया पासपोर्ट बनवाने से लेकर भारत आने तक सीमा हैदर ने 6 लाख रूपये खर्च करने की बता कही 10 मई 2023 को 27 वर्षीय सीमा हैदर अपने चार बच्चों के साथ पाकिस्तान की सीमा पार कर गयी फिर वह चार बच्चों के साथ 11 मई को काठमाडू आ गयी और नेपाल के पोखरा में एक रात रूककर 12 मई 2023 को वह दिल्ली के लिये रवाना हो गयी, ऐसा बिल्कुल नही कि इस दौरान देश की सीमा सुरक्षा में लगे सिपाहियों ने सीमा हैदर से पूंछ तांछ न की हो लेकिन सीमा हैदर भी अपने अनौपचारिक पति सचिन का पता बता कर अपनी मंजिल की ओर बढ़ती रही और यमुना एक्सप्रेसवे पर फरेंदा कट पर पहुंचकर सीमा सचिन से मिली और नोयडा में एक किराये के कमरे पर रहने लगी, उसके बाद अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिये विद्यालय में दाखिला दिलाने के लिये वह अपने बच्चों के कागजात बनवाने के लिये दौड़ भाग करने लगी इसी दौरान एक वकील ने पूरा रायता फैला दिया फिर क्या पुलिस, कोर्ट, जेल फिर जमानत यहां पर भी सीमा हैदर ने सीमा सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियों को ठेंगा दिखा दिया था।


बात चाहे 2019 के पुलावामा हमले की हो, चाहे 2023 में सीमा हैदर को भारत में दाखिल होने की हो या फिर 22 अप्रैल 2025 के पहलगांव में हुयी घटना की हो! एकबार प्रश्नवाचक चिन्ह अपनी सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियों पर जरूर लगता है अपनी एजेंसियों को पता है कि जम्मू और कश्मीकर का इलाका बेहद संवेदनशील है और समय समय पर घट रही घटनाओं को देखते हुये भी ये एजेंसियां संवेदनहीन क्यों नजर आती हैं ? जब हम अपने यंत्र से मौसम का पूर्वानुमान लगा लेते हैं तो हम अपने तंत्र से होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान क्यों नही लगा पा रहे हैं। जब एक घुन बिना पानी के भी जीवित रह सकता है तो हम पानी, बीजा, बार्डर बन्द करके कितने दिनों तक उसे तबाह कर सकते हैं यहां सीधे तौर पर ऐसे कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए कि जब कोई पंतिंगा भी जन्म ले और नापाक इरादों से बार्डर की ओर उड़ने की हिम्मत न जुटा पाये।


राज कुमार तिवारी (राज)
बाराबंकी,

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782

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