भजन/भावगीत

माँ सरस्वती वंदना

जयति जय जय माँ सरस्वती, जयति वीणाधारिणि
जयति विद्यादायिनि माँ, जयति पुस्तकधारिणि-

शुभ्रवसना शुभ्रता का पाठ हम सीखें सदा
ध्यान में हो शुभ्रता और ज्ञान भी हो शुभ सदा
श्वेत कमलावसना देवी इतना ही बस कीजिए
बुद्धिदायिनी मात सबकी बुद्धि निर्मल कीजिए-

वीणाधारिणि कंठ में दो बीन की-सी मधुरता
हंसवाहिनि हंस-सी हो चाल में कुछ सरलता
पद्म-सी कुछ महक देवी आज हमको दीजिए
बुद्धिदायिनी मात सबकी बुद्धि निर्मल कीजिए-

देवी पुस्तक-धारिणि जय-जय सदा तेरी करें
प्रेम सिखलादो हमें तन-मन को प्रीति से भरें
विद्यादायिनि देवी करुणा हम सभी पर कीजिए
बुद्धिदायिनी मात सबकी बुद्धि निर्मल कीजिए-

तुम सुरों की प्रेरणा हो तुम सुरों की साधना
तान के झरने बहा दो ये हमारी कामना
जिह्वासन पर आ विराजो इतनी कृपा कीजिए
बुद्धिदायिनी मात सबकी बुद्धि निर्मल कीजिए-

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

Leave a Reply