माँ सरस्वती वंदना
जयति जय जय माँ सरस्वती, जयति वीणाधारिणि
जयति विद्यादायिनि माँ, जयति पुस्तकधारिणि-
शुभ्रवसना शुभ्रता का पाठ हम सीखें सदा
ध्यान में हो शुभ्रता और ज्ञान भी हो शुभ सदा
श्वेत कमलावसना देवी इतना ही बस कीजिए
बुद्धिदायिनी मात सबकी बुद्धि निर्मल कीजिए-
वीणाधारिणि कंठ में दो बीन की-सी मधुरता
हंसवाहिनि हंस-सी हो चाल में कुछ सरलता
पद्म-सी कुछ महक देवी आज हमको दीजिए
बुद्धिदायिनी मात सबकी बुद्धि निर्मल कीजिए-
देवी पुस्तक-धारिणि जय-जय सदा तेरी करें
प्रेम सिखलादो हमें तन-मन को प्रीति से भरें
विद्यादायिनि देवी करुणा हम सभी पर कीजिए
बुद्धिदायिनी मात सबकी बुद्धि निर्मल कीजिए-
तुम सुरों की प्रेरणा हो तुम सुरों की साधना
तान के झरने बहा दो ये हमारी कामना
जिह्वासन पर आ विराजो इतनी कृपा कीजिए
बुद्धिदायिनी मात सबकी बुद्धि निर्मल कीजिए-
— लीला तिवानी