कविता

अक्षय तृतीया महातम

वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया तिथि अति विशेष,
शुभ कर्मों का प्रतिफल प्राप्त होता जहां अशेष,
साढ़े तीन प्रहर का अति सौभाग्यशाली मुहूर्त ये,
मांगलिक कार्यों विवाह आदि के लिए उपयुक्त ये ।

गंगा स्नान दर्शन, जप, तप, है इस दिन सर्वोत्तम,
श्री विष्णु का पूजन सत्तू खाने का बड़ा महातम,
आखातीज, परशुराम जयंति भी इसी को कहते,
पिण्ड दान, तर्पण, दान, धर्म, शुभकर्मादि करते ।

लक्ष्मी-नारायण उपासना से मिलती ऐश्वर्य सम्पत्ति,
अक्षय “आनंद” सुख, समृद्धि, संग वैभव की प्राप्ति,
बद्रीनाथ धाम कपाट खुले अक्षय तिथि से हो अर्चन,
बॉंके बिहारी के चरणों के एकबार ही मिलते दर्शन ।

चारों पुराणों की नींव अक्षय तृतीया तिथि से प्रारम्भ,
श्री गणेश ने महाभारत ग्रंथ लेखन का किया आरंभ,
कृष्ण सुदामा की घनिष्ठ मित्रता की साक्षी ये तिथि,
द्रौपदी को मिला अक्षय पात्र पूजनीय हो अतिथि ।

हनुमान जी की स्तुति संत जन भक्ति भाव से गाते,
तिथि अनुसार अक्षय कृपा, लाभामृत सुख पाते,
सोने-चांदी बर्तन की खरीदारी करते हैं खासकर,
खरीफ़ फ़सल बुआई का भी श्रेष्ठ समय मानकर ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु

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