मुस्कान एक अमोघ शस्त्र
कुदरत का वरदान है मुस्कान,
अधरों की तो शान है मुस्कान,
रोने से कुछ हासिल नहीं होता,
मायूसी में तो जान है मुस्कान।
मुस्कान एक अत्यंत अमोघ शस्त्र है,
अंधेरे में उजाला करने वाला अस्त्र है,
दिलों को छूने वाली होती है मुस्कान,
ऊर्जावान करने वाला मोहक मंत्र है।
मुस्कान जब बन जाए हमारी पहचान,
हर मर्ज की अचूक दवा है मुस्कान,
कभी फीकी-सी, कभी भोली-सी लगती,
पर मुखौटों में भी पहचानी जाती मुस्कान।
सन्नाटे में सुरीला संगीत है मुस्कान,
उदासी में उदीयमान सूरज है मुस्कान,
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाकर तो देखो,
मन को ही मंदिर बना देती है मुस्कान।
— लीला तिवानी