कविता

मुस्कान एक अमोघ शस्त्र

कुदरत का वरदान है मुस्कान,
अधरों की तो शान है मुस्कान,
रोने से कुछ हासिल नहीं होता,
मायूसी में तो जान है मुस्कान।

मुस्कान एक अत्यंत अमोघ शस्त्र है,
अंधेरे में उजाला करने वाला अस्त्र है,
दिलों को छूने वाली होती है मुस्कान,
ऊर्जावान करने वाला मोहक मंत्र है।

मुस्कान जब बन जाए हमारी पहचान,
हर मर्ज की अचूक दवा है मुस्कान,
कभी फीकी-सी, कभी भोली-सी लगती,
पर मुखौटों में भी पहचानी जाती मुस्कान।

सन्नाटे में सुरीला संगीत है मुस्कान,
उदासी में उदीयमान सूरज है मुस्कान,
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाकर तो देखो,
मन को ही मंदिर बना देती है मुस्कान।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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