गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

हम बच्चों को जो व्यवहार सिखाएंगे
बच्चे पीढ़ी दर पीढ़ी दोहराएंगे

हाँ सारी दुनिया में वैसा ही होगा
हम घर में जैसा माहौल बनाएंगे

चाहत नफ़रत अपनापन बेग़ानापन
जो देंगे दुनिया से वो ही पाएंगे

मैं ही अपना दर्द ज़बां पर लाया तो
मेरे अपने किसको दर्द सुनाएंगे

फैंके टुकड़े खाने से तो बेहतर है
हम केवल पानी पीकर सो जाएंगे

जिनको भय या लालच है वे मौन रहें
हम तो कवि होने का फ़र्ज़ निभाएंगे

मेरा चेहरा भी घूमेगा आँखों में
जब जब मेरे गीत लबो पर आएंगे

— सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

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