कुण्डली/छंद पीडा *चंचल जैन 03/05/202503/05/2025 0 Comments जन गण मन क्रंदित हुआ, पीडा दर्द अपार। आतंकी वे थे कहाँ, ढूँढो हर घर द्वार।। ढूँढो हर घर द्वार, छुपे बैठे थे कायर। मासूमों का कत्ल, रक्त से मानस कातर।। अपने थे निष्पाप, न्याय चाहे जन गण मन।।