पुस्तक समीक्षायमराज मेरा यार – जीवन की सच्चाई बयाँ करता किरदार
सुधीर श्रीवास्तव दादा जी द्वारा सृजित हास्य व्यंग्य काव्य संग्रह “यमराज मेरा यार” लोक रंजन प्रकाशन प्रयागराज द्वारा प्रकाशित है। आकर्षक आवरण पृष्ठ वाले संग्रह को देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विशाल ज्वालामुखी को लाँघकर भैंसे पर सवार होकर जैसे सखा से मित्रता निभाने के लिए यमराज जी भी आतिथ्य सत्कार के लिए दौड़े आ रहें हो। आपने अपनी पुस्तक परमपूज्य गुरुदेव जी के श्रीचरणों में समर्पित की है।
2024 में प्रकाशित यह पुस्तक अपने आप में अनूठा अद्भुत संग्रह है।
एकादश श्रेष्ठ वरिष्ठ साहित्यकारों के आशीर्वचनों की श्रृंखला में डॉ रत्नेश्वर सिंह, खालिद हुसैन सिद्दीकी, संतोष श्रीवास्तव, अर्चना श्रीवास्तव, ममता श्रवण अग्रवाल , प्रेमलता रसबिन्दु , निधि बोथरा जैन, अरूणिमा श्रीवास्तव, आकाश श्रीवास्तव के साथ डॉ पूर्णिमा पाण्डेय की शुभकामनाएँ अंकित है।
उसके बाद डॉ सुधीर जी के मानस के उद्गार रुपी भावाभिव्यक्ति, आभाराव्यक्ति अपनी अलग छाप छोड़ती है। वरिष्ठ, अग्रज सभी श्रेष्ठ जनों के बीच मुझ अदना अकिंचन को बेटी होने का सौभाग्य मिला, आशीर्वाद मिला जिसके लिए मैं निःशब्द हूँ। सच में आपका व्यक्तित्व बड़ा विराट है। अपनी जीवन संगिनी के साथ अपनी बेटियों के प्रति प्रेम-भाव नारी सम्मान को दर्शाता है। आपने बाबा, जन्मदाता, परिवार के सदस्यों के साथ साथ साहित्यिक दुनिया से जुड़े सदस्यों का भी आभार व्यक्त किया है। आपने अपने व्यक्तित्व से नयी पीढ़ी के बच्चों को प्रेरणा दी है, कि कभी भी मैदान से बिना संघर्ष के हार नहीं माननी है, हमेशा कोशिशें कर अपने आपको कुन्दन बनाना है। सम्पूर्ण पुस्तक का निचोड़ गागर में सागर भरते हुए आपने लिखा– सिंधु ने जब भी खुशी के गीत गाए हृदय मुक्ता को तटो पर छोड़ आए।
इसके बाद विषय सूची दी गई है।
“प्रस्तुत संग्रह सुंदर ज्ञानवर्धक एवं मनमोहक होने के साथ अपने आप में अनुपम एवं अद्वितीय है। 174पृष्ठों में कुल रचनाओं में प्रथम कृति दोहों के रूप में गणपति जी को समर्पित की, भगवान् श्री चित्रगुप्त जी भावांजलि अर्पित कर जय सत गुरुदेव जी की महिमा वर्णित की। माँ शारदे की अनुपम वन्दना–
यमराज का आफर, यमलोक यात्रा पर जाने का हठ, यमराज का हुड़दंग, यमराज की नसीहत मुस्कुराने को मजबूर कर गयीं। यमराज के प्रश्नों के साथ यमराज का श्राप के साथ रायते का चक्कर भी लगाते हुए कोल्हू का बैल शानदार कृतित्व रहा। यमराज से यारी निभाते हुए यमराज मेरा यार, यमराज का साहित्यिक मंच साझा किया। आपके जन्म दिन पर यमराज की शुभकामनायें विशेष महत्व रखती हैं। यमराज की हड़ताल करते हुए यमराज काँप उठा, कवि यमराज के निमंत्रण पर लिखित फरमान जारी कर यमराज ने एकांतवास कर अपना दर्द साझा किया। यमराज की प्रसन्नता के मध्य श्रद्धाँजलि समारोह आयोजन में यमराज की धमकी, डर बतलाते हुए आप यमराज के गुरु बन गये का अद्भुत रसास्वादन कराया आपने बड़ा नाम कर मोदीराज में नया अनुभव लेकर खुराफात कर नया व्यक्तित्व गढ़ मौत और कवि की खिचड़ी का जुगाड़ किया। समय की चाल को बदलते हुए गठबंधन की अंतिम शर्तें रखी। राम की शरण में जाओ कृति समाज को नया संदेश देकर प्रेरणास्रोत बन गयी।
एक बहुत ही शानदार अद्भुत काव्य हास्य संग्रह को पढ़कर बहुत आनन्द आया।
अन्त में माँ शारदे के मानस पुत्र-पुत्रियों से विनम्र निवेदन करते हुए कहना चाहती हूँ कि आप सभी इस अनुपम काव्य संग्रह की अनमोल कृतियों का रसास्वादन कीजिये। इस अनुपम कृति संग्रह के लिए आ० डॉ सुधीर श्रीवास्तव दादा जी आपको बारंबार शुभकामनाएँ प्रेषित करती हूँ।
आपकी लेखनी सर्वोत्कृष्ट सृजन कर यू हीं समाज को नयी दिशा प्रदान करती रहे, आप यूँ ही साहित्य सेवा करते रहें और हम सभी सदैव आपकी अनुपम कृतियों का रसास्वादन करते रहें।
इन्हीं मंगलमय शुभकामनाओं के साथ…।
समीक्षक:
एकता गुप्ता ‘काव्या’
उन्नाव उत्तर प्रदेश
सुधीर श्रीवास्तव दादा जी द्वारा सृजित हास्य व्यंग्य काव्य संग्रह “यमराज मेरा यार” लोक रंजन प्रकाशन प्रयागराज द्वारा प्रकाशित है। आकर्षक आवरण पृष्ठ वाले संग्रह को देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विशाल ज्वालामुखी को लाँघकर भैंसे पर सवार होकर जैसे सखा से मित्रता निभाने के लिए यमराज जी भी आतिथ्य सत्कार के लिए दौड़े आ रहें हो। आपने अपनी पुस्तक परमपूज्य गुरुदेव जी के श्रीचरणों में समर्पित की है। 2024 में प्रकाशित यह पुस्तक अपने आप में अनूठा अद्भुत संग्रह है। एकादश श्रेष्ठ वरिष्ठ साहित्यकारों के आशीर्वचनों की श्रृंखला में डॉ रत्नेश्वर सिंह, खालिद हुसैन सिद्दीकी, संतोष श्रीवास्तव, अर्चना श्रीवास्तव, ममता श्रवण अग्रवाल , प्रेमलता रसबिन्दु , निधि बोथरा जैन, अरूणिमा श्रीवास्तव, आकाश श्रीवास्तव के साथ डॉ पूर्णिमा पाण्डेय की शुभकामनाएँ अंकित है। उसके बाद डॉ सुधीर जी के मानस के उद्गार रुपी भावाभिव्यक्ति, आभाराव्यक्ति अपनी अलग छाप छोड़ती है। वरिष्ठ, अग्रज सभी श्रेष्ठ जनों के बीच मुझ अदना अकिंचन को बेटी होने का सौभाग्य मिला, आशीर्वाद मिला जिसके लिए मैं निःशब्द हूँ। सच में आपका व्यक्तित्व बड़ा विराट है। अपनी जीवन संगिनी के साथ अपनी बेटियों के प्रति प्रेम-भाव नारी सम्मान को दर्शाता है। आपने बाबा, जन्मदाता, परिवार के सदस्यों के साथ साथ साहित्यिक दुनिया से जुड़े सदस्यों का भी आभार व्यक्त किया है। आपने अपने व्यक्तित्व से नयी पीढ़ी के बच्चों को प्रेरणा दी है, कि कभी भी मैदान से बिना संघर्ष के हार नहीं माननी है, हमेशा कोशिशें कर अपने आपको कुन्दन बनाना है। सम्पूर्ण पुस्तक का निचोड़ गागर में सागर भरते हुए आपने लिखा– सिंधु ने जब भी खुशी के गीत गाए हृदय मुक्ता को तटो पर छोड़ आए। इसके बाद विषय सूची दी गई है। “प्रस्तुत संग्रह सुंदर ज्ञानवर्धक एवं मनमोहक होने के साथ अपने आप में अनुपम एवं अद्वितीय है। 174पृष्ठों में कुल रचनाओं में प्रथम कृति दोहों के रूप में गणपति जी को समर्पित की, भगवान् श्री चित्रगुप्त जी भावांजलि अर्पित कर जय सत गुरुदेव जी की महिमा वर्णित की। माँ शारदे की अनुपम वन्दना–यमराज का आफर, यमलोक यात्रा पर जाने का हठ, यमराज का हुड़दंग, यमराज की नसीहत मुस्कुराने को मजबूर कर गयीं। यमराज के प्रश्नों के साथ यमराज का श्राप के साथ रायते का चक्कर भी लगाते हुए कोल्हू का बैल शानदार कृतित्व रहा। यमराज से यारी निभाते हुए यमराज मेरा यार, यमराज का साहित्यिक मंच साझा किया। आपके जन्म दिन पर यमराज की शुभकामनायें विशेष महत्व रखती हैं। यमराज की हड़ताल करते हुए यमराज काँप उठा, कवि यमराज के निमंत्रण पर लिखित फरमान जारी कर यमराज ने एकांतवास कर अपना दर्द साझा किया। यमराज की प्रसन्नता के मध्य श्रद्धाँजलि समारोह आयोजन में यमराज की धमकी, डर बतलाते हुए आप यमराज के गुरु बन गये का अद्भुत रसास्वादन कराया आपने बड़ा नाम कर मोदीराज में नया अनुभव लेकर खुराफात कर नया व्यक्तित्व गढ़ मौत और कवि की खिचड़ी का जुगाड़ किया। समय की चाल को बदलते हुए गठबंधन की अंतिम शर्तें रखी। राम की शरण में जाओ कृति समाज को नया संदेश देकर प्रेरणास्रोत बन गयी। एक बहुत ही शानदार अद्भुत काव्य हास्य संग्रह को पढ़कर बहुत आनन्द आया। अन्त में माँ शारदे के मानस पुत्र-पुत्रियों से विनम्र निवेदन करते हुए कहना चाहती हूँ कि आप सभी इस अनुपम काव्य संग्रह की अनमोल कृतियों का रसास्वादन कीजिये। इस अनुपम कृति संग्रह के लिए आ० डॉ सुधीर श्रीवास्तव दादा जी आपको बारंबार शुभकामनाएँ प्रेषित करती हूँ। आपकी लेखनी सर्वोत्कृष्ट सृजन कर यू हीं समाज को नयी दिशा प्रदान करती रहे, आप यूँ ही साहित्य सेवा करते रहें और हम सभी सदैव आपकी अनुपम कृतियों का रसास्वादन करते रहें। इन्हीं मंगलमय शुभकामनाओं के साथ…।
एकता गुप्ता ‘काव्या’
उन्नाव उत्तर प्रदेश