कविता

स्वाभिमान का दीप

सम्मान तुम्हारा तब तक रहेगा,
जब तक स्वाभिमान न डिगेगा।
यदि ठेस पहुंची मेरे मान को,
फिर नमन नहीं अपमान मिलेगा।

झुकना विनम्रता की पहचान है,
पर अन्याय सहना अपमान है।
जो अपने स्व को भूल गया,
वो जीवन में केवल श्मशान है।

सम्मान वही जो हृदय से हो,
ना छल-कपट, ना भय से हो।
स्वाभिमान मेरा अस्तित्व है,
इसका सम्मान सहज भाव से हो।

— हेमंत सिंह कुशवाह

हेमंत सिंह कुशवाह

राज्य प्रभारी मध्यप्रदेश विकलांग बल मोबा. 9074481685