मिलेंगे ख़यालात…!
ये मत सोचा करो कि मिलेंगे ख़यालात,
उन्हें पास आने दो हम पूछेंगे सवालात।
बस एक बार दोस्ती का हाथ ही बढ़ाना,
कोई नहीं चाहेगा तुम्हें सूली पर चढ़ाना।
यूँ हमने कभी-भी ना सीखा लड़खड़ाना,
तेरी शोखी ने किया है मेरा दिल दीवाना।
ये मत सोचा करो कि मिलेंगे ख़यालात,
उन्हें पास आने दो हम पूछेंगे सवालात।
इतना भी तो ज़ालिम नहीं हैं ये ज़माना,
उन घूरती नज़रों का कोई नहीं ठिकाना।
तुम हो इतनी हँसी कैसे हो नज़रें चुराना,
वे ढूँढा करते हैं तुमसे मिलने का बहाना।
ये मत सोचा करो कि मिलेंगे ख़यालात,
उन्हें पास आने दो हम पूछेंगे सवालात।
अब पता नहीं कब नज़रें होंगी इनायत,
मैं राह तकता हूँ तेरी करता हूँ जियारत।
इतना तड़पा के भी क्या मज़ा आता हैं,
दिल मेरा तेरी रुसवाई से बैठा जाता हैं।
— संजय एम तराणेकर