लघुकथा

लघुकथा – मजदूर दिवस

         इस चिलचिलाती धूप में आज उनके घर बगीचे में कुछ क्यारियां और बनाई जा रहीं थीं ताकि बरसात में कुछ नए पौधे लगाए जा सके। कुछ मजदूर इस काम में लगे हुए थे।

      नीलिमा की सासु माँ कभी मजदूरों को फ्रिज का ठंडा पानी पिलातीं तो कभी नींबू का शर्बत। यह देखकर नीलिमा को गुस्सा आ रहा था कि मजदूरों की कोई इस तरह खातिरदारी करता है जैसे वे उनके मेहमान हों पर वह सासु माँ को कुछ कह नहीं पा रही थी। मन ही मन खीझ रही थी। 

      वो सब्जी काटने बैठी थी कि सासु माँ की आवाज सुनाई पड़ी-“नीलिमा आज कुछ खास मेहमान आ रहे हैं।कुछ ज्यादा खाना बना लेना।”

        उसने पूछा-“कौन आ रहे हैं मम्मी जी?बताइये न।”

       “तुम बस बढ़िया खाना बनाओ ।वो आएंगे तो देख लेना।तुम्हारे लिए सरप्राइज़ है।” यह कहती हुई सासु माँ मुस्कुराने लगी। 

      जल्दी- जल्दी नीलिमा ने पनीर मटर की सब्जी,पूड़ी भजिया आलू की सूखी सब्जी, रायता दाल चावल बनाया और मेहमानों की प्रतीक्षा करने लगी।

      तभी सासु माँ रसोई में आकर बोलीं-“नीलिमा, खाना लगाओ मेहमान आ गए हैं। बरामदे में बैठे हैं ।वहीं ले आओ।”

       वह थाली सजाकर बरामदे में देने आई तो देखकर दंग रह गई कि मेहमान कोई नहीं बगीचे में क्यारी बना रहे मजदूर थे। उसने चुपचाप सभी को थाली परोसा औरअंदर चली आई और क्रुद्व स्वर से सासु माँ से कहा-“तो ये हैं आपके खास मेहमान।पहले ही बता देतीं तो मुझे इतनी मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती ।अरे!इनके लिए कुछ भी बना देती फिर इनको घर में बिठाकर कौन खिलाता है?”

     सासु माँ ने संयत स्वर से कहा-“बेटा, यह भी तो इंसान हैं ।इनके बिना किसी का काम नहीं चलता।बेचारे मई की इस झुलसा देने वाली गर्मी में हमारे घर काम कर रहे हैं।हम एसी में कूलर में आराम कर रहे हैं।अगर इन्हें एक दिन अच्छा खाना खिला दिया तो क्या हुआ। ये काम न करें तो हम जैसों का क्या हाल हो जानती हो ?इनका एहसान मानो कि जरूरत पड़ने पर ये हमारे साथ होते हैं।”

       सासु माँ की बात सुनकर नीलिमा शर्मिंदगी महसूस करने लगी।

    — डॉ. शैल चन्द्रा 

*डॉ. शैल चन्द्रा

सम्प्रति प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक शाला, टांगापानी, तहसील-नगरी, छत्तीसगढ़ रावण भाठा, नगरी जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ मो नम्बर-9977834645 email- [email protected]

Leave a Reply