पहली मुलाकात
थोड़ी बेचैन सी, घबरायी हुई
न जाने क्या होगा
न जाने क्या पूछेंगे
न जाने क्या कहेंगे
हैरान-परेशान सी
अपना भविष्य बुन रही
अतीत में झांक रही
अपने को बार बार देख रही
आईना भी मुस्कुरा रहा
जैसे कह रहा हो
मत घबरा, सब ठीक होगा
पर मन कहां सुनने वाला
नारी है न,
सबकी सुनने वाली
निरंतर ग्रहण करने वाली
मां का प्यार
पापा का दुलार
भाई का संग सार
सपनों के घोड़े पर सवार
कुछ कुछ सोचते हुए
कुछ कुछ ख्वाहिश लिए
कुछ अनसुनी आहट लिए
कुछ चुरायी मुस्कान लिए
कुछ अंदर तूफान लिए
वो गुनगुनी दुपहरी में
दुपट्टे को समेटते हुए
जब सामने आकर बैठी
कुछ नमी थी आंखों में
कुछ थमी थी पांवों में
चेहरे की मासूमियत ने
बयां किया सारा हाल
पल में समझ आ गया
एक एहसास पा गया
जब सारी दुनिया सोती है
हम सपनों से लड़ते हैं
नींद से बड़ी होती है आशा
थकान से बड़ी लगती उम्मीद
हर की है कुछ कहानी
आंखें कभी बनती जुबानी
मौन की आवाज ने खींच लिया
सुकून भरा एहसास दे गया
किसी का जीवन में आना
उसका ठहर जाना
अथवा चले जाना
हमारे हाथ में है नहीं
हमारे हाथ में है
समय के साथ चलना
आगे प्रवाहित होना
बस यही है जीवन
यही है जीवन ••••••