राष्ट्र प्रथम
सदा जीत का दम रखते हैं।
मन में राष्ट्र प्रथम रखते हैं।
सभी समस्याएँ निपटालें
अपने को सक्षम रखते हैं।
शासन – सत्ता सुख पाकर भी
भाव उच्च – उत्तम रखते हैं।
घातक है ईर्ष्यालु पड़ोसी
बोलचाल कुछ कम रखते हैं।
राजा बनें दशानन जैसा
व्यर्थ न मिथ्या भ्रम रखते हैं।
आतंकी असुरों की क्षय हित
खड्ग, चक्र, अणुबम रखते हैं।
भारतमाता के सपूत हम
ऋषियों -सा संयम रखते हैं।
— गौरीशंकर वैश्य विनम्र