कविता

सरकारी स्कूल

ये सरकारी स्कूल,
जहां होगा परिवर्तन आमूलचूल,
होगा जहां मित्र गुरू रूप मूल,
आओ सरकारी स्कूल,
नहीं होगी जो आपकी भूल,
पाओगे शिक्षा का स्वरूप मूल ही मूल,
आपकी सच्ची शिक्षा हिला देगी
पाखंडों की चूल,
आपकी शिक्षा आपका ज्ञान
मिथ्या के लिए होगा शूल,
जीवन के लिए होती है शिक्षा ही मूल,
जहां कुछ भी नहीं है ऊलजलूल,
जोर नहीं डालेंगे ज्यादा
कोमल मन को रखेंगे कूल,
दो दिन में सारे बच्चे
मिल जाते हैं घुल,
सोचो जरा अशिक्षा और शिक्षा के बीच
विद्यालय होते हैं पुल,
मुफ्त किताब,कपड़ा और खाना,
आना पढ़ना और है जाना,
किस्से और कहानियों के संग
हर तरह का गीत है गाना,
ले लो शिक्षा और भविष्य में
कदमों में बरसेंगे फूल,
तो आ जाओ रे कोमल मन
जल्दी से सरकारी स्कूल।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554

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