कविता

कविता

बाजार में कई रंग हैं
अलग-अलग
लाल हरे नीले पीले
बैंजनी बसंती।
इन्हीं रंगों के बीच है
हमारी दुनिया
दुनिया के बीच रंग
हरा – भरा परिवेश
प्रकृति ने दिया हमें
अद्भुत शस्यश्यामला
धरती का रूप।
अल्हड़ यौवन
मदमस्त गुलाबी खुशबू
चंचल चितवन
इसी में लिखी हैं
इबारतें
सुन्दर गाढ़े हर्फ़ों में
ज़िन्दगी के खूबसूरत
अनुभवों की
धरती भर दुःखों की
आकाश भर सुखों की।
और इन सबसे पार
उस तथाकथित
मोक्ष की।
जहां न दुःख है
जहां न सुख है
जहां न जीवन है
जहां न मृत्यु है
जहां न कोई अपना है
जहां न कोई पराया है
इन्द्रधनुषी रंगों से भरा
यह जीवन
इन्हीं रंगों में ढूंढना होगा
अपनी पसंद का
कोई एक रंग।

— वाई. वेद प्रकाश

वाई. वेद प्रकाश

द्वारा विद्या रमण फाउण्डेशन 121, शंकर नगर,मुराई बाग,डलमऊ, रायबरेली उत्तर प्रदेश 229207 M-9670040890

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