डिफॉल्ट

चौपाई- कहें सुधीर कविराय

******विविध******किसने किसको कब जाना है।किसने किसको पहचाना है।।यही राज तो लुका छिपा है।जाने ये किसकी किरपा है।। हमको जिसने भी जाना है।लोहा  मेरा  वो  माना है।।तुम मानो अब मेरी बातें।त्यागो मन की सब प्रतिघातें।। नहीं हाथ कुछ आने वाला।रहा नहीं कोई दिलवाला।।मत दिमाग अपना चलवाओ।लोगों को अब मत भरमाओ।। यह जो भी समझ नहीं पाता।कल में वही बहुत पछताता।।गाँठ बांधकर तुम रख लेना।राज सभी को समझा देना।।कविता अपनी आप सुनाओ।शाबाशी दुनिया की पाओ।।मातु शारदे कृपा करेंगी।वो ही बेड़ा पार करेंगी ।।कौन आज है आने वाला।डेरा यहां जमाने वाला।।इतना तुमको पता नहीं है।या चित्त तुम्हारा और कहीं है।।मातु पिता की बातें मानो।मूरख तुम उनको ना जानो।।वही हमारे जीवन दाता।हम सबके हैं भाग्य विधाता।।मेरे मन जब भाव‌ समाया।छंद सीखने तब मैं आया।।गुरुवर मुझको छंद सिखा दो।चौपाई का ज्ञान करा दो।।नाहक में तुम धैर्य हो खोते।जानें तुम क्यों रहते रोते।।हार जीत जीवन का हिस्सा।नहीं सुना क्या तुमने किस्सा।।कभी नहीं कहता जग सारा।कोशिश करने वाला हारा।।खुद को जिसने कभी न जाना।उसको सबने हारा माना।जिसकी सफल साधना होती।जीवन उसको लगता मोती।।उसकी सुंदर बने कहानी।बीता कल क्या किसने जानी।।नहीं हार से तुम घबराना।हार भूल फिर से जुट जाना।।जीत हार क्रम लगा रहेगा।रोने से कुछ नहीं मिलेगा।।आरोपों से भग मत जाना।हर मुश्किल से तुम टकराना।।हारी बाजी तुम जीतोगे।कुंदन बन कल फिर चमकोगे।।ईर्ष्या द्वेष न मन में लाना।अपना कदम बढ़ाते जाना।।सरल किसी की राह नहीं है।जीता वो जो डरा नहीं है।।मात-पिता का कहना मानो।उनको अपना सब कुछ जानो।।जीवन तब खुशहाल बनेगा।और संग आशीष रहेगा।।हर प्राणी का दुख मिट जाये।जीवन सबको सुखमय भाये।।हर कोई तुमको है प्यारा ।सबको केवल एक सहारा।।बिटिया कहती सब-जन जागे।फिर शासन सत्ता क्यों भागे।।आखिर उसका दोष बता दो।दोष नहीं तो न्याय दिला दो।।जब उसका अपराध नहीं है।फिर उसकी क्या मौत सही है।।जिम्मेदारी से मुँह मोड़े।राजनीति के घोड़े दौड़े।।आज देश में होता खेला।नारी का क्यों लगता मेला।।आशाएं अब क्षीण हो रही।न्याय नाम क्या लीग चल रही।।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921

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