कविता

पहलगाम का जवाब

पहलगाम का हमला महज हमला नहीं था
किया छलनी भारत मां का सीना
मिटाया सिंदूर हमारी मां-बहनों का
हमला था यह बह्शी और कायराना
आघात किया हमारे स्वाभिमान पर
दशकों से हम इसे झेल रहे हैं
कायर आतंकियों से लड़ रहे हैं
अनगिनत बेगुनाहों की जान जा चुकी है
लेकिन अब न सहेंगे ऐसे हमलों को
खून का बदला खून से लेंगे
आतंकियों और उनके संरक्षकों को
ईंट का जवाब पत्थर से देंगे
वैसे तो हम हैं बुद्ध के अनुयाई
लेकिन हम कायर और डरपोक नहीं हैं
लिया है प्रण हिंद की सेना ने
उनके घर में घुसकर मारेंगे
मिटा देंगे नामोनिशां आतंक का
आतंकियों के रक्त से विजय तिलक करेंगे ।

— मृत्युंजय कुमार मनोज

मृत्युंजय कुमार मनोज

जन्म तिथि -3.8.1977 पेशा - सरकारी नौकरी (भारत सरकार) पता- टेकजोन-4, निराला एस्टेट ग्रेटर नोएडा (पश्चिम) उ.प.201306

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