कविता

मुंहतोड़

कल सुबह दिनदहाड़े डकैती हो गई,
थानेदार ने मुंहतोड़ जवाब दिया
पर वो दिन की बकैती हो गई,
सी सी टी वी और गस्ती का
चुस्त दुरुस्त इंतजाम था,
समझ नहीं आ रहा घटना में
किस होशियार के हाथ लगाम था,
नागरिकों में सुरक्षा को लेकर
मच गई अफरा तफरी,
जांच रिपोर्ट तभी आएगा जब
बूंद बूंद से भरेगा गगरी,
इस मुंहतोड़ जवाब में
मुंह नहीं किसी का टूटा,
लेकिन लुटेरे सफल हुए
बस जनता का भाग्य था फूटा,
नेता आये और हड़काये थानेदार को,
परिणाम निकालो जल्दी से वर्ना
असर पड़ेगा तेरे रोजगार को,
लोकल चोरों के आगे जा
बेचारा बहुत गिड़गिड़ाया,
स्वीकारो इस बला को मित्रवर
पानी फिर जाएगा किया कराया,
दयावान उस चोर ने बोला
करने मुठभेड़ आज ही आओ,
पकड़ो किसी गरीब को जल्दी
और मुठभेड़ में मार गिराओ,
तुम भी बचोगे मैं भी बचूंगा
झंझट से पीछा छुड़ाएंगे,
ऊपर से मिला आदेश कभी तो
एक नया कांड कर जाएंगे।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554