आंखों से आंसू बह आएं
आंखों से आंसू बह आएं, मानव जब शैतान बन जाता।
शीश कलम वैरी का हो तो,गम तभी मुस्कान बन जाता।
छीन लिए सिंदूरी सपने, बिछुड़ गये सभी मीत अपने।
दुर्दिन हुए कैसे हमारे, बंधु पहलगांव में मारे।
खून का बहा कतरा कतरा , दुश्मन हैवान बन जाता।
शीश कलम वैरी का हो तो, गम तभी मुस्कान बन जाता।
सुहाग की थी चुड़ियां टूटी, हाए कैसे किस्मत फूटी।
आसमान भी तब था रोया, सधवा का हा! यौवन धोया।
प्रतिशोध भीतर दिल में जागे,मौत का तूफान बन जाता।
शीश कलम वैरी का हो तो, गम तभी मुस्कान बन जाता।
बुरी नजर से जिसने देखा, मिट जाता उसका तब लेखा।
आततायी कब तू बचेगा, खून हिंद का वीर चखेगा।
अंत काल दुश्मन का आया, प्रलय है भगवान बन आता।
शीश कलम वैरी का हो तो, गम तभी मुस्कान बन जाता।
दुश्मन के हर नाके तोड़े, मिसाइल सभी उस के फोड़े।
देखे अपनी शामत आई, रो रो करता खूब दुहाई।
गीदड़ भभकी देने वाला, अगले पल श्मशान बन जाता।
शीश कलम वैरी का हो तो, गम तभी मुस्कान बन जाता।
— शिव सन्याल