कविता

आंखों से आंसू बह आएं

आंखों से आंसू बह आएं, मानव जब शैतान बन जाता।
शीश कलम वैरी का हो तो,गम तभी मुस्कान बन जाता।
छीन लिए सिंदूरी सपने, बिछुड़ गये सभी मीत अपने।
दुर्दिन हुए कैसे हमारे, बंधु पहलगांव में मारे।
खून का बहा कतरा कतरा , दुश्मन‌ हैवान बन जाता।
शीश कलम वैरी का हो तो, गम तभी मुस्कान बन जाता।
सुहाग की थी चुड़ियां टूटी, हाए कैसे किस्मत फूटी।
आसमान भी तब था रोया, सधवा का हा! यौवन धोया।
प्रतिशोध भीतर दिल में जागे,मौत का तूफान बन जाता।
शीश कलम वैरी का हो तो, गम तभी मुस्कान बन जाता।
बुरी नजर से जिसने देखा, मिट जाता उसका तब लेखा।
आततायी कब तू बचेगा, खून हिंद का वीर चखेगा।
अंत काल दुश्मन का आया, प्रलय है भगवान बन आता।
शीश कलम वैरी का हो तो, गम तभी मुस्कान बन जाता।
दुश्मन के हर नाके तोड़े, मिसाइल सभी उस के फोड़े।
देखे अपनी शामत आई, रो रो करता खूब दुहाई।
गीदड़ भभकी देने वाला, अगले पल श्मशान बन जाता।
शीश कलम वैरी का हो तो, गम तभी मुस्कान बन जाता।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995

Leave a Reply