कविता

परिस्थितियां परिक्षा लेती हैं

जब से जन्म लिया धरा पर,परिस्थितियां परिक्षा लेती हैं।
चोला मानव का जब से मिला, दुख सुख दस्तक देती है।
आसान नहीं है सफर इतना, ज़िंदगी हिचकोले खाती है।
हर मोड़ खड़े तूफान मिलें कभी जीते कभी हार जाती है।
सदा ही फल जीवन में मिले करे जैसी कर्मों की खेती है।
जब से जन्म लिया धरा पर,परिस्थितियां परिक्षा लेती हैं।
मेहनत करना फर्ज अपना, रखना हिम्मत विश्वास सदा।
सत्य पथ पर जो चलता,आशीश प्रभु का रहे पास सदा।
पा लेता हर मुश्किल में ही जो मंजिल उस की चहेती हैं।
जब से जन्म लिया धरा पर,परिस्थितियां परिक्षा लेती हैं।
धीर बनों ,गंभीर बनों, आगे बढ़ना ही , लक्ष्य अपना रहे।
शुभ काम करके जग को दिखाएं मन में ऐसा सपना रहे।
कर्मशील बन कर जो रहता, उसने अभाग्य रेखा मेटी है।
जब से जन्म लिया धरा पर,परिस्थितियां परिक्षा लेती हैं।

— शिव सान्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. Sanyalshivraj@gmail.com M.no. 9418063995