कविता

सदमें में शहबाज

जबसे आपरेशन सिंदूर शुरू हुआ
यमलोक में भी जश्न का माहौल था,
सीजफायर की खबर मात्र से जैसे बज्रपात हो गया।
यमराज भागा- भागा शहबाज के पास आया
और उलाहना देते हुए कहने लगा
ये तूने क्या कर दिया, अपनी किस्मत फोड़ लिया।
क्या जरूरत थी सीजफायर की आड़ में
अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने की,
भारत तो तेरा ही काम कर रहा था
बदले में कौन सा तुझसे कुछ माँग रहा था,
अपना ही अस्त्र-शस्त्र, सेना और धन बर्बाद कर रहा था,
तेरे तो मन में लड्डुओं का फूटना मुझे अच्छे से पता था।
शहबाज गिड़गिड़ाते हुए कहने लगा
सच कहें तो फफक-फफक कर रोने लगा।
यमराज ने उसे ढाँढस बँधाया और समझाया
चल कोई बात नहीं, मुझे सब समझ में आया
तू बहुत मजबूर है, मुल्ला मुनीर के चक्रव्यूह में है
पाक सेना और आतंकियों का मजबूत गठजोड़ है,
लोकतंत्र के नाम पर पाक संज्ञा शून्य है।
इस देश का कुछ नहीं हो सकता, ये दुनिया कहती है
पर मैं विश्वास से कहता हूँ कि
नापाक पाक का बहुत कुछ होने वाला है
सीजफायर तो सिर्फ दिखावा है
तेरा और तेरे भाई का छलावा है
मुल्ला मुनीर को तुम दोनों ने प्यार से भरमाया है,
तू भी जानता है, ऐसा कुछ हो ही नहीं सकता
पाक सेना का आतंकी तंत्र इसे सह ही नहीं सकता है।
वो तो अपना काम पूरी ईमानदारी से करेगा
सीजफायर का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन भी करेगा
और भारत भी अपने वादे से पीछे नहीं हटेगा,
वो आगे भी अपना काम बड़ी शिद्दत से करेगा
पाक को अब नित नये घाव देता रहेगा।
पर तेरा क्या होगा? ये तो मुझे पता नहीं
पर तेरे देश का कल्याण जरुर होगा
या फिर पाक का नक्शा दुनिया के नक्शे से गायब होगा।
फिर तेरा भी सिरदर्द मिट जाएगा
इस देश की जनता का भाग्य खुल जायेगा,
जब नापाक पाक ही न होगा
तब भला आतंकवाद कौन फैलाएगा
हूर परियों को भी थोड़ा सूकून मिल जायेगा।
शहबाज ने यमराज के पैर पकड़ लिए
और हाथ जोड़कर कहने लगा-काश!
ऐसा हो जाये, आपकी बात सौ फीसदी सच हो जाये
तो मेरा आपसे ही नहीं, पूरी दुनिया से वादा है,
राजनीति से हमेशा के लिए दूर हो जाऊँगा
सबसे पहले आपका एक भव्य मंदिर बनाऊँगा
पुजारी बनकर सुबह-शाम पूजा पाठ करुँगा,
आरती गाऊँगा, घंटी घड़ियाल बजाऊँगा
पूरी तरह पुजारी – संन्यासी हो जाऊँगा।
यमराज व्यंग्य से मुस्कराया –
तू क्या मुझे बेवकूफ समझता है?
जो मैं तेरे झाँसे में आ जाऊँगा,
और तेरे आतंकी खैरख्वाहों को
हूर परियों से मिलवाऊँगा?
इतना कहकर यमराज फुर्र हो गया
और मियां शहबाज सदमें से औंधे मुँह गिर गया,
बेचारा करम का मारा बेहोश हो गया,
या मेरे मित्र यमराज को
गुमराह न कर पाने के कारण ऐसा हो गया,
अथवा मुल्ला मुनीर और पाक सेना संग
आतंकवादियों के डर से ऐसा हो गया,
जो भी हो, पर भारत और चौकन्ना हो गया।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921